उत्तराखंड

अपील दायर करने की प्रक्रिया सुसंगत नहीं हुई, तो राजस्व अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई : न्यायालय

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नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा राजस्व और अप्रत्यक्ष कराधान के मामलों में अपील दायर करने की प्रक्रिया को सुसंगत बनाने के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में विफल रहने पर नाराजगी जताई है. न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए आगाह किया कि वह इस मामले में उनके खिलाफ अवमानना और कार्रवाई शुरू करने में हिचकिचाएगा नहीं.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सीमा शुल्क, उत्पाद और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील में बार-बार स्थगन मांगा जा रहा है. इसे 536 दिन के विलंब से दायर किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में सॉलिसिटर जनरल को उपस्थित रहना चाहिए. इस पर पीठ को सूचित किया गया कि वह अन्य अदालत में मामले पर दलील पेश कर रहे हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘यह काफी हैरान करने वाला है. न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर 15 फरवरी को यह आदेश पारित किया था. उसके बाद से इस मामले मे किसी एक या दूसरी वजह से बार-बार स्थगन मांगा जा रहा है. यदि सुनवाई की अगली तारीख तक कुछ पुख्ता निकलकर नहीं आता है, तो अदालत संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना तथा जबरिया कार्रवाई करने से हिचकिचाएगी नहीं.’’

https://www.youtube.com/watch?v=8sRj9cw2tC0

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह से कहा कि यह प्रस्ताव तैयार किया जाना विभाग के फायदे में ही है, लेकिन अधिकारी इसको समझ नहीं रहे हैं. न्यायालय ने कहा, ‘‘कई बार अपीलें मामलों के आधार पर 10 साल से अधिक की देरी के बाद भी दायर की गई हैं, लेकिन इसे व्यवहार नहीं बनाया जाना चाहिए.’’

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