उत्तराखंड

अगर आप कोविड पॉजिटिव हैं तो ओमिक्रोन या डेल्‍टा किस वेरिएंट से संक्रमित हैं? ऐसे जानें

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नई दिल्‍ली. भारत में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्‍या रोजाना बढ़ती जा रही है. विश्‍व में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के आने और इसके अधिक संक्रामक होने के चलते भारत में भी ज्‍यादातर मरीजों के इसी वेरिएंट से संक्रमित होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि मरीजों के सैंपलों की बिना जीनोम सीक्‍वेंसिंग के इस बारे में कुछ भी कहना अपर्याप्‍त है. स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में जीनोम सीक्‍वेंसिंग की सुविधा बहुत कम होने के कारण बहुत कम संख्‍या में ही लोगों के वेरिएंट की जांच हो पा रही है. बाकी लोगों में वेरिएंट को लेकर अनुमान ही लगाया जा सकता है. हालांकि अगर तीन बातों पर गौर किया जाए तो देश में कोविड पॉजिटिव लोग भी ये अनुमान लगा सकते हैं कि वे कौन से वेरिएंट से संक्रमित हैं और भारत में ज्‍यादातर लोगों को कौन सा वेरिएंट प्रभावित कर रहा है.

आईसीएमआर, जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्पलीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं आरटीपीसीआर जांच में यह पता नहीं चलता है कि कोविड पॉजिटिव मरीज किस वेरिएंट से संक्रमित है. उसे डेल्‍टा है या ओमिक्रोन है या अन्‍य किसी वेरिएंट ने संक्रमित किया है, इसका पता जीनोम सीक्‍वेंसिंग में ही चलता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आरटीपीसीआर के माध्‍यम से देश में दो लाख कोविड केस रोजाना आ रहे हैं लेकिन ओमिक्रोन या अन्‍य किसी वेरिएंट की जांच के लिए सिर्फ 10 हजार सैंपल ही जीनोम सीक्‍वेंसिंग के लिए जा रहे हैं. ऐसे में बाकी के 1 लाख 90 हजार में डेल्‍टा है या ओमिक्रोन है, इसका तो पता ही नहीं चलेगा. हालांकि इन तीन बातों के आधार पर कौन सा वेरिएंट भारत में ज्‍यादा परेशानी पैदा कर रहा है, इसका पता लगाया जा सकता है.

जीनोम सीक्‍वेंसिंग के आंकड़ों से वेरिएंट का पता
डॉ. अरुण कहते हैं कि भारत में चाहे बेहद कम संख्‍या में ही सैंपलों की जीनोम सीक्‍वेंसिंग की जा रही है लेकिन जितने भी केस जीनोम सीक्‍वेंसिंग के लिए जा रहे हैं उनमें से करीब 80 फीसदी मामलों में कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट की पुष्टि हो रही है. चूंकि सीक्‍वेंसिंग के लिए ये सैंपल रेंडम लिए जाते हैं. यानि कि जहां भी कोरोना के अचानक ज्‍यादा केस एक साथ सामने आते हैं, वहां से कुछ सैंपलों को वेरिएंट की जांच के लिए लिया जाता है. ऐसे में सीधे तौर पर तो यह नहीं कहा जा सकता कि भारत में ज्‍यादातर मरीज ओमिक्रोन के हैं लेकिन आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है.

कोरोना के मामलों में हो रही बढ़ोत्‍तरी से वेरिएंट का अनुमान
डॉ. शर्मा कहते हैं कि दूसरी बात जो भारत में ज्‍यादातर मरीजों में ओमिक्रोन की पुष्टि करती है वह है इस वेरिएंट की संक्रमण दर. पहले रिपोर्टेड वेरिएंट के मुकाबले देखा गया है कि ओमिक्रोन इनसे करीब 70 फीसदी ज्‍यादा संक्रामक है और तेजी से फैलता है. यह एयरबोर्न है ज्‍यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है. ऐसे में अगर पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि डेल्‍टा वेरिएंट के दौरान एक हफ्ते में कोरोना के मरीजों की संख्‍या में इतना उछाल नहीं देखा गया था, जितना कि इस बार देखा गया है. महज एक हफ्ते की अवधि में ही कोरोना के मामले दोगुने-तीन गुने नहीं बल्कि कई गुने देखे जा रहे हैं. लिहाजा इसके आधार पर भी कहा जा सकता है कि देश में ओमिक्रोन वेरिएंट ही इस बार प्रमुखता से संक्रमण फैला रहा है.

इस बार बीमारी के लक्षण भी हल्‍के
डॉ. शर्मा कहते हैं कि अप्रैल से जून 2021 के मुकाबले इस बार कोरोना होने पर हल्‍के लक्षण सामने आ रहे हैं. मसलन इसमें एक या दो दिन बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम, बदन दर्द या सिरदर्द आदि देखे जा रहे हैं. कई मामलों में मरीजों को कोई लक्षण ही नहीं हैं. इस बार मॉडरेट या गंभीर मरीजों की संख्‍या काफी कम है. खास बात है कि विश्‍व भर में सामने आ रहा है कि ओमिक्रोन के मरीजों में कोरोना के लक्षण काफी हल्‍के हैं, जबकि डेल्‍टा में काफी गंभीर जैसे, उल्‍टी, दस्‍त, सांस फूलने, ऑक्‍सीजन स्‍तर घटने, बीपी लो होने की समस्‍याएं सामने आ रही थीं. ऐसे में यह माना जा सकता है कि इस बार ओमिक्रोन ही भारत में संक्रमण की प्रमुख वजह है.

आम लोग ऐसे कर सकते हैं अपने वेरिएंट का पता
डॉ. शर्मा कहते हैं कि वैसे तो जीनोम सीक्‍वेंसिंग ही स्‍पष्‍ट तौर पर बताता है कि मरीज किस वेरिएंट से प्रभावित है लेकिन आम लोग ऊपर बताई गई इन तीन बातों के आधार पर इसका अनुमान लगा सकते हैं कि उन्‍हें कौन सा वेरिएंट संक्रमित कर रहा है. खासतौर पर ओमिक्रोन के लक्षणों के आधार पर तो कह सकते हैं कि उन्‍हें कोरोना वायरस का कौन सा वेरिएंट प्रभावित कर रहा है. हालांकि यहां ध्‍यान देने वाली बात यह है कि भले ही लोगों में कोई भी वेरिएंट हो लेकिन अगर वे आरटीपीसीआर में कोविड पॉजिटिव हैं तो उन्‍हें सभी सावधानियां ऐसे ही बरतनी हैं जो बताई गई हैं. चाहे डेल्‍टा हो या ओमिक्रोन कभी भी कोविड अनुरूप व्‍यवहार को नहीं छोड़ना है, पॉजिटिव होने पर आइसोलेशन में रहना है. लक्षणों पर गौर करना है. ऑक्‍सीजन स्‍तर की जांच करते रहनी है, ताकि कोई परेशानी न पैदा हो और बुखार या सांस संबंधी कोई भी दिक्‍कत होने पर तुरंत चिकित्‍सक से संपर्क करना है.

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