पड़ोस में मुस्लिम बुजर्ग की हुई मौत, शोक में मंदिर में चल रहा उत्सव रोका गया, नहीं निकला जुलूस
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केरल में मलप्पुरम जिले (Malappuram District, Kerala) के तिरूर क्षेत्र में (Triur Area) सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे (Communal Harmony) की एक मिसाल देखने को मिली. इस बात की चर्चा हर ओर हो रही है. जो सभी इस बारे में सुन रहा है, तारीफ किए बगैर नहीं रह पा रहा है. तिरुर में स्थित थ्रिप्नगोड बीरंचिरा पुन्नस्सेरी मंदिर (Thripannagod Beeranchira Punnassery Temple) के प्रबंधकों ने क्षेत्र में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति के इंतकाल होने के बाद मंदिर में चल रहे थलप्पोली उत्सव (Thalappoli Celebration) को तत्तकाल रूप से बंद कर दिया. इस उत्सव के दौरान जुलूस निकाला जाता है, जिसमें महिलाएं और बच्चे चावल से भरे थाली में दीपक जलाते हैं.
मंदिर के पास रहता था बुजुर्ग
जिस बुजुर्ग की मौत हुई, उसका नाम चेराटिल हैदर अली Cheratil Haider Ali) था. वह लकड़ी का व्यापरी था और मंदिर के पास ही रहता था. बताया जाता है कि मंदिर समिति के सदस्यों के साथ उसके अच्छे संबंध थे. इंतकाल की खबर उस समय आई जब मंदिर में उत्सव चल रहा था और बैंड अपने चरम पर था. जिसके बाद उत्सव से संबंधित हर चीज को फ़ौरन बंद कर दिया गया. इसके साथ ही समिति के सदस्य परिवार के घर पहुंचे और मृतक के प्रति शोक संवेदना प्रकट की.
शशि थरूर ने भी की तारीफ
मंदिर समिति के उपाध्यक्ष एमवी वासु ने बताया कि कोरोना मानदंडों में छूट दिए जाने के बाद मंदिर में उत्सव चल रहा था और रास्ते में कई जुलूस निकल रहे थे. लेकिन हैदर के देहांत के बाद हमने जुलूस को स्थगित कर दिया. स्थानीय पंचायत सदस्य पी मुस्तफा ने कहा कि मंदिर के फैसले की सभी ने प्रशंसा की. वहीं तिरुवनंतपुरम के सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी ट्वीट कर मंदिर प्रबंधन की प्रशंसा की है.
भाईचारे की दूसरी मिसालें
इससे पहले भी मलप्पुरम में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल देखने को मिले हैं. जनवरी 2021 में यहां के पोन्नड थहलीमुल इस्लाम हायर सेकेंडरी में एक ईसाई महिला का अंतिम संस्कार किया गया था. दिवंगत महिला बेहद गरीब परिवार से थी. घर में सुविधाएं नहीं होने के कारण उनका पार्थिव शरीर भी रात भर मदरसे में रखा गया था.
अक्टूबर 2020 में, परथाकड़ जुमा मस्जिद ने मलप्पुरम के मुथुवल्लूर पंचायत में स्थित एक मंदिर के लिए भूमि दान की थी. इससे मंदिरों के लिए एक उचित सड़क बनाने में मदद मिली ताकि भक्त वहां पहुंच सकें. रास्ता बनने से मंदिर के भक्तों को लाभ हुआ, जो एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है. पास ही स्थित दलित कॉलोनी में रहने वाले 10 परिवारों का आने-जाने में भी सहुलिअत मिली.
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