उत्तराखंड

Mission Paani: NCW की रिपोर्ट में दावा, 2.5 किमी पैदल चलकर आज भी पानी ला रही महिलाएं

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Mission Paani: अगर आप किसी से कहें कि एक गिलास पानी (Water) ले आओ तो कोई भी नल खोलकर आसानी से पानी ले आएगा. ये बात हमारे लिए जितनी आसान है, वैश्विक आबादी (Global Population) के एक बड़े हिस्‍से के लिए उतनी ही कठिन और किसी सपने की तरह ही है. भारत (India) के हालात भी इससे बिल्‍कुल अलग दिखाई नहीं पड़ते हैं. भारत की बहुत बड़ी आबादी को आज भी नदियों, नालों, कुओं और अन्‍य जल निकायों पर निर्भर रहना पड़ता है. भारत में स्थिति और भी ज्‍यादा इसलिए खराब दिखाई पड़ती है क्‍योंकि एक परिवार में पानी लाने की जिम्‍मेदारी महिलाओं पर ही होती है.

भारत में जल संकट का सबसे बड़ा कारण ये है कि परिवार के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाने वाली ये महिलाएं ही इस गंभीर मुद्दे पर सबसे कम बोलती हैं. देश भर में पानी का संकट उन महिलाओं की स्थिति खराब कर रहा है जो पीने का पानी लाने में घंटों बिताती हैं. भारत के कुछ हिस्‍सों में अभी भी महिलाओं को कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना होता है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में पीने योग्य पानी के स्रोत तक पहुंचने के लिए महिलाएं अभी भी 2.5 किमी तक पैदल चलकर जाती हैं. आयोग के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि पानी लाने की लागत 150 मिलियन से बढ़कर प्रति वर्ष 10 अरब रुपये में तब्दील हो गई है. बता दें कि विश्व की 17 प्रतिशत आबादी के पास घर तो हैं लेकिन पीने का साफ पानी केवल 4 प्रतिशत घरों तक ही पहुंच सका है. केंद्रीय भूजल बोर्ड के 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के लगभग 256 जिलों में खतरनाक भूजल स्तर दर्ज किया गया है.

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भूजल के गिरते स्तर से आने वाले कुछ सालों में देश के कई राज्‍यों की स्थिति और खराब होने वाली है. अधिकांश ग्रामीण परिवारों के पास पाइप से पीने योग्य पानी नहीं है और वे अस्वच्छ जल संसाधनों पर निर्भर हैं. भूजल के गिरते स्तर से आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों की स्थिति और खराब होने वाली है. ऐसा नहीं क‍ि इस तरह की दिक्‍कत केवल ग्रामीण इलाकों में ही है. शहरी क्षेत्रों में भी स्थिति कुछ ऐसी ही दिखाई पड़ती है. पानी को लेकर जो चिंता जताई जा रही है वह कई दक्षिणी शहरों में पानी की कमी को देखते हुए है. उदाहरण के लिए, बैंगलोर में सप्ताह में दो बार पानी दिया जाता है, जबकि 250 टैंकर चेन्नई की प्यास बुझाने के लिए 2,250 चक्कर लगाते हैं. हैदराबाद में कुछ इलाकों में तीन दिन में एक बार पानी आता है.

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ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने परिवार के लिए पीने का पानी लाने में औसतन दिन में 3-4 घंटे खर्च करती हैं. इस महत्वपूर्ण समय का उपयोग आर्थिक गतिविधियों या शिक्षा प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है. यह महिलाओं को उनकी वास्तविक क्षमता का उपयोग करने और उन अवसरों का लाभ उठाने से भी रोकता है जो उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बना सकते हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने अध्ययन में पाया गया कि एक ग्रामीण महिला सिर्फ पानी लाने के लिए साल में 14,000 किमी से अधिक पैदल चलती है. शहरी भारत की स्थिति भी ठीक नहीं है. शहरी क्षेत्रों में महिलाएं इतनी दूर तक नहीं चल पाती हैं लेकिन सड़क किनारे लगे नलों या पानी के टैंकरों से पानी लेने के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़ी रहती हैं.

Tags: Clean water, Mission Paani, News18 Mission Paani, Water, Water Crisis



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