उत्तराखंड

ऋषिकेश के इस कुंड में त्रेता युग से आ रहा यमुना नदी का पानी, सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा हो जाता है जल

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तीर्थ नगरी ऋषिकेश ऋषियों की भूमि रही है, यही वजह है कि यहां पग-पग पर अनेक पौराणिक स्थलों के दर्शन होते हैं। इन्हीं में से एक स्थान ऋषि कुंड भी इसमें शामिल है, जो त्रिवेणी घाट में गंगा नदी के ही समीप स्थित है। यमुना नदी का पानी त्रेता युग से यहां पर विराजमान है।

मान्यता है कि कुंज ऋषि ने त्रेता युग में यहां कठोर साधना की थी। जिसके बाद यमुना नदी के आशीर्वाद से यह कुंड नदी के जल से भर गया था।

इस ऋषि कुंड का जल न तो कभी बढ़ता है और न ही कभी कम होता है। कहा जाता है कि सर्दियों में इस कुंड का जल गरम रहता है और गर्मियों में इस कुंड का जल ठंडा हो जाता है। यमुना का जल ऋषि कुंड से ही त्रिवेणी घाट में गंगा से जाकर मिलता है। इस कुंड का पानी हमेशा एक रंग का रहता है। किसी भी मौसम में इसका पानी कभी मटमैला नहीं होता।

इस कुंड के जल के भीतर मछलियां और कछुए रहते हैं, जिन्हें खाना खिलाना या पकड़ना प्रतिबंधित है। गंगा दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह कुंड खासा आकर्षण का केंद्र रहता है।

साथ ही कुंड के पास रघुनाथ जी का मंदिर भी स्थापित है। मान्यता है कि रावण के वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप के प्रायश्चित के लिए भगवान राम ने कुछ समय तक इस कुंड के पास तप किया था। इसके बाद वह तपस्या करने देवप्रयाग चले गए थे। यहां भी राम भक्त दूर-दूर से आकर रघुनाथ जी के दर्शन करते हैं।

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