उत्तराखंड

भारत पर जलवायु परिवर्तन की बुरी मार, 2050 तक देश में 25 गुना अधिक चलेगी लू!

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अगले दो से चार दशक के बीच क्या भारत गर्मियों की ऐसी मार झेलेगा कि यहां रहना मुश्किल हो जाएगा? यह बात हम नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन पर आई एक रिपोर्ट में कहा गया है. इंग्लैंड के ग्लासगो शहर में हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के मौके पर आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 25 सालों यानी 2036 से 2065 के बीच भारत भीषण गर्मी की मार झेल सकता है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कार्बन उत्सर्जन की यह दर बनी रहे तो ऐसी स्थिति देखनी पड़ सकती है. यह रिपोर्ट रोम में 30 से 31 अक्टूबर के बीच आयोजित जी-20 देशों की बैठक से पहले आई है.

ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि जी-20 देशों की बैठक में जलवायु परिवर्तन के मसले पर चर्चा हो सकती है. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया के तमाम नेताओं ने भाग लिया.

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जलवायु परिवर्तन केअसर से नहीं बचेगा कोई देश
इस रिपोर्ट के बारे में इटली के इंटर गॉवर्मेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन का जी-20 सहित तमाम देशों पर असर पड़ेगा. इस रिपोर्ट को 40 वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार किया है. ये सभी वैज्ञानिक यूरो-मेडिटेरियन सेंटर ऑन क्लाइमेंट चेंज से जुड़े हैं.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का असर जी-20 के सभी देशों पर पड़ेगा. बीते 20 साल में इन देशों में लू की वजह से होने वाली मौतों में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस दौरान जंगलों में आग के कारण कनाडा के क्षेत्रफल से डेढ़ गुना अधिक क्षेत्रों में वन तबाह हो गए.

डेंगू से लेकर लू ले रही बड़ी संख्या में जान 
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समंदर का जल स्तर बढ़ने के साथ स्वच्छ पानी की उपलब्धता भी प्रभावित हुई है. इस कारण डेंगू से लेकर लू से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है. इसमें यह भी कहा गया है कि जी-20 देशों में जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं रहा जिसपर जलवायु परिवर्तन का असर न पड़ा हो.

अगले 30 सालों में तबाही के कगार पर होगी दुनिया!
रिपोर्ट में कहा गया है कि आपात स्थिति में अगर कार्बन उत्सर्जन में कटौती के इंतजाम नहीं किया जाता है तो अगले 30 सालों में दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में संकट पैदा हो सकता है. इस कारण सूखा, लू और समंदर के जल स्तर बढ़ने का खतरा काफी बढ़ गया है. इस कारण खाद्यान्नों की आपूर्ति प्रभावित होगी और पर्यटन पर बुरा असर पड़ेगा. इससे दुनिया का कोई भी देश बच नहीं पाएगा.

जी-20 को तुरंत कदम उठाना चाहिए
रिपोर्ट में कहा गया है कि जी-20 के देश दुनिया में कुल कार्बन उत्सर्जन के 80 फीसदी खुद पैदा करते हैं. ऐसे में दुनिया को बचाने और कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए इन्हें तुरंत कदम उठाना चाहिए.

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भारत पर पड़ेगा सबसे बुरा असर
जलवायु परिवर्तन का भारत पर सबसे बुरा असर पड़ने की आशंका है. क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति सबसे अलग है. एक तरफ इसकी 7500 किमी तटीय सीमा है तो दूसरी तरफ इसके उत्तर में हिमालय है. भारत के 54 फीसदी इलाके में भीषण गर्मी पड़ती है. ऐसे में इस देश को सबसे ज्यादा खतरा है. इसे तुरंत कदम उठाने की जरूरत है.

25 गुना ज्याजा चलेगी लू
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगर नहीं चेतता है तो आने वाले वर्षों में यहां चलने वाली लू में भारी वृद्धि होगी और यह अवधि 25 गुना तक बढ़ सकती है. इसमें कहा गया है कि अगर वैश्विक स्तर पर तामपान में दो डिग्री की बढ़ोतरी होती है तो भारत में लू चलने की अवधि में पांच गुना तक की वृद्धि हो सकती है.

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