अफगानिस्तान छोड़कर आए पीड़ित और अनाथ बच्चों की 21 साल तक परवरिश की भारतीय समाजसेवी ने ली जिम्मेदारी
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नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद से आए दिन हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोग बिना सामान लिए देश छोड़कर भाग रहे हैं. दुनिया भर की निगाहें अफगानिस्तान की और है. वहां जिस तरह के हालत बने है उससे सबसे बड़ा खतरा बच्चो पर है. वहां रह रहे अफगानीयों को डर सत्ता रहा है की तालिबान ने हमारी हत्या कर दी तो बच्चों का क्या होगा. इस डर से कई लोग अपने बच्चों को विदेशी सैनिकों को भी सौंपते हुए नजर आए. इस बीच अफगान के अलग-अलग शहरों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित देश लाने के कार्य में भारत सरकार मुस्तैदी से जुटी हुई है.
अब उज्जैन के पास नागदा के रहने वाले एक समाजसेवी मनोज राठी ने अफगानिस्तान छोड़कर आए अफगानी नागरिक और हिन्दुस्तानियों के अनाथ हुए बच्चों की 21 साल तक पूरी परवरिश की बात कही है राठी ने बताया की कई हिन्दू और सिक्ख परिवार बेघर हो गए, कई बच्चो के माता पिता उनसे बिछड़ चुके हैं अगर ऐसे भी कोई बच्चे हिन्दुस्तान में आते हैं तो और उनके रहने की व्यवस्था नहीं होती तो उन बच्चों की भी पूरी व्यवस्था जिसमे रहना खाना और पढ़ाई का खर्च भी मोहन श्री फाउंडेशन उठाने को तैयार है.
पेश की मानवता की मिशाल
ऐसे वक़्त में जब प्रॉपर्टी को लेकर अपने पराये हो रहे है. सारे बंधन थोड़े से पेसो के लिए ख़त्म किये जा रहे है ऐसे में नागदा के मनोज राठी ने मानवता की मिसाल पेश की है और वे अपने ही नहीं बल्कि दूसरे देश से आये बच्चो को भी रखने को तैयार है और उनकी 21 होने तक सम्पूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी भी ले रहे हैं. राठी ने बताया की जिस तरह से टीवी पर रोजाना दिख रहा है की अफगानिस्तान में हालात खराब हैं अगर वहां से भारत में आकर कोई बच्चा रहना और पढ़ाई करना चाहता है तो नागदा का मोहन श्री विधायपीठ उनके लिए खुला है.
2013 से बच्चों के लिए कर रहे हैं काम
नागदा में रहने वाले समाज सेवी मनोज राठी ने सन 2013 में गरीब बच्चो के लिए मुफ्त श्री मोहन श्री विद्यापीठ नामक स्कूल की शुरुआत की थी जिसमे फिलहाल 350 बच्चो को अंग्रेजी माध्यम के बड़े स्कूलों जैसी सुविधा वाली शिक्षा दे रहे हैं. फिलहाल स्कूल में 5वीं क्लास तक की पढ़ाई हो रही है. वहीं अनाथ या फिर प्रताड़ित होकर घर छोड़ दिए ऐसे 13 बच्चे का रहना खाना पीना भी मनोज राठी अपने स्कूल में ही कर रहे हैं.जिसमे शाजापुर के मोहन बड़ोदिया के 2 बच्चे ,रतलाम जिले के आलोट के 2 बच्चे , 3 बच्चे रतलाम के है जिनके माँ बाप भीख मंगवाते थे.
इन सभी बच्चों को खाना पीना रहना सब 2016 से मोहन श्री विद्यापीठ में ही होता है. सभी धर्मों के बच्चों को इस स्कूल में रखा जाता है. मोहन श्री विद्यापीठ में वहीं रहने वाले 13 बच्चों में से 2 बच्चे मुस्लिम समाज से हैं. इन सभी पर राठी प्रति माह करीब 50 हजर रुपए खर्चा करते हैं और स्कूल में मुफ्त पढ़ाई कर रहे 350 बच्चों पर 70 हजार अलग से खर्च होता है. फिलहाल स्कूल में 10 लोगों का स्टाफ है
अन्य तरीको से भी लोगो की मदद
मनोज राठी अपने पिता की याद में कई बार ऐसे लोगों की मदद करते रहते हैं जिनका कोई नहीं होता. यही नहीं कई बार गरीबों का इलाज भी अपने पेसो से करवाते हैं. कुछ दिन पहले ही कोरोना के चलते बेरोजगार हुई मुस्लिम महिला को 40 हजार देकर प्लास्टिक की दूकान खुलवाई .
समाज सेवी मनोज राठी ने बताया कि मोहन श्री विद्यापीठ के नाम से इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालित किया जाता है जो की पूरी तरह नि:शुल्क है जिसमे ना बाहरी और ना ही शासकीय मदद ली जाती है. सम्पूर्ण खर्चा हमारे द्वारा किया जाता है. 350 बच्चे स्कूल में मुफ्त पढ़ाई करने आते हैं. 13 ऐसे बच्चे जो कुदरत की मार और अपने परिवार से प्रताड़ित हैं.
हम हजारों बच्चों के लिए काम करने को तैयार
भारत वर्ष में कोई भी बच्चा अगर बिना माता पिता के हो, या प्रताड़ित की जा रहा हो उसकी जानकरी मुझे दे उसकी 21 वर्ष तक की पूरी जिम्मेदारी हम निभाएंगे. आज 13 बच्चों का सम्पूर्ण की जिम्मेदारी वहन की जा रही है अगर कल 13 हजार बच्चे भी हुए तो हम उसके लिए तैयार हैं
अफगानिस्तान टीवी के माध्यम से पता चला की कई हिन्दू और सिक्ख परिवार बेघर हो गए, कई बच्चों के माता पिता उनसे बिछड़ चुके हैं अगर ऐसे में बच्चे हिन्दुस्तान में आते हैं तो और उनके रहने की व्यवस्था नहीं होती तो मोशन श्री फाउंडेशन उन बच्चों की भी पूरी व्यवस्था जिसमे रहना खाना और पढ़ाई का खर्च भी मोहन श्री फाउंडेशन उठाएगा
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