पहल: अब बकरी के दूध-गोश्त की नहीं होगी कमी, 7 राज्य शुरू कर रहे गाय-भैंस के बाद बकरियों में आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन
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नई दिल्ली. भारत में दूध की पैदावार के लिए गाय और भैंस को ही प्रमुख माना जाता रहा है लेकिन अब बकरियां भी यहां दूध उत्पादन में अहम भूमिका निभाएंगी. गरीब की गाय कही जाने वाली बकरी अब पशुपालकों की आय का प्रमुख जरिया भी बनेगी. इसके लिए देश की 7 राज्य सरकारें दुवासू के साथ मिलकर बकरियों की संख्या और उनकी नस्ल सुधारने के लिए विशेष प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही हैं.
देश में गाय और भैंसों की उन्नत किस्म या नस्ल की पैदावार के लिए पहले से की जा रही आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) की प्रक्रिया को अब पहली बार बकरियों में शुरू किया जा रहा है. इससे बकरियों की सबसे अच्छी मानी जाने वालीं बरबरी, बीटल, सिरोही, जमुनापरी, जखराना और ब्लैक बंगाल आदि नस्लों को बढ़ाया जाएगा. इससे न केवल देश में बकरी के दूध का उत्पादन बढ़ेगा बल्कि गोश्त की पैदावार भी बढ़ेगी.
मथुरा के पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान (दुवासू) के साथ मिलकर फिलहाल हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गोवा और राजस्थान आदि राज्य सरकारें गोट फार्मिंग या गोट हसबैंडरी को बढ़ाने जा रही हैं. जबकि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू आदि राज्यों में भी बकरी के आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन पर काम चल रहा है.
दुवासू में खोला गया फ्रोजन गोट सीमेन प्रोडक्शन स्टेशन
दुवासू मथुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर मुकुल आनंद ने न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताया कि वेटरिनरी यूनिवर्सिटी में पहली बार फ्रोजन गोट सीमेन प्रोडक्शन स्टेशन बनाया गया है. यहां बकरियों में उन्नत किस्म के कृत्रिम गर्भाधान के लिए हर साल 10 लाख फ्रोजन गोट सीमेन डोजेज तैयार की जा रही हैं. इसके लिए यूनिवर्सिटी के फार्म में 104 सर्वश्रेष्ठ जीनोटाइप के बकरे रखे गए हैं. जिनसे सीमेन लेकर देशभर में बकरियों की बेहतर नस्लें पैदा करने के लिए राज्य सरकारों के अलावा पशुपालन के क्षेत्र में काम कर रहे विभिन्न संगठनों को दिए जा रहे हैं.
राज्यों के वेटरिनरी अधिकारियों को दी ट्रेनिंग
बकरियों को लेकर काम कर रही करीब 11 राज्य सरकारों में से हरियाणा, यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ के 120 वेटरिनरी अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) को लेकर दुवासू में ही ट्रेनिंग दी गई है. जबकि कुछ राज्यों की ट्रेंनिंग अभी होनी बाकी है. इसके अलावा उत्तरी भारत के राज्यों के ही करीब 120 आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) कर्मचारियों को भी ट्रेंड किया गया है. इनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं.
हरियाणा में बकरियों के लिए शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
हरियाणा के डिपार्टमेंट ऑफ एनिमल हसबैंडरी एंड डेयरिंग के ज्वॉइंट डायरेक्टर बीएस रांगी ने बताया कि हरियाणा सरकार पहली राज्य सरकार है जिसने बकरी पालन या बकरी के आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है. इस पायलट प्रोजेक्ट में विभाग हर जिले के अंदर बकरियों की जनसंख्या के आधार पर आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन सेंटर शुरू कर रहा है. सितंबर 2021 के पहले हफ्ते में इन सेंटर के शुरू होने की उम्मीद है.
वे बताते हैं कि इसके तहत राज्य सरकार के दुवासू से प्रशिक्षित अधिकारी फील्ड में मौजूद बकरी पालकों से मिलेंगे और देखेंगे कि उनके पास कौन सी नस्ल की बकरी है और क्या वे उसी की संख्या बढ़ाना चाहते हैं या किसी और नस्ल के साथ जाना चाहते हैं. इसके बाद बकरी मालिकों की मांग और बकरी की क्षमता को देखते हुए आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन किया जाएगा ताकि स्वस्थ और उन्नत नस्ल पैदा हो सके. इस दौरान जो खास बात होगी वह यह होगी कि बकरी मालिक दूध, गोश्त या दोनों में से किसकी तरफ जाना चाह रहे हैं. उसी के आधार पर बकरियों की ब्रीड का सीमन दिया जाएगा.
हरियाणा सरकार के इस साल के बजट में शामिल की गई हैं बकरियां
रांगी बताते हैं कि हरियाणा सरकार ने बकरियों के इस प्रोजेक्ट को इसी साल बजट में भी शामिल किया है. इससे पहले हरियाणा में गाय और भैंसों के आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन या गाय-भैंस की उन्नत किस्म को बढ़ाने के लिए काम किए जा रहे थे लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि बकरियों के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है. बकरी गरीब किसानों की गाय कहलाती है. इससे उन्हें दूध और गोश्त दोनों ही चीजें मिलती हैं. इस साल इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा रहा है. अगले साल इसे अगले स्तर पर लेकर जाएंगे. फिलहाल इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत में ट्रायल के आधार पर मथुरा की दीन दयाल उपाध्याय वेटरिनरी यूनिवर्सिटी से उन्नत ब्रीड का सीमन लिया गया है आगे और भी जगहों से लिया जाएगा.
बकरी देती है तीन से चार किलो दूध, पशुपालकों की बढ़ेगी आय
वेटरिनरी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक एक स्वस्थ और उन्नत किस्म की बकरी जिसमें जमुनापार, बीटल या सिरोही शामिल है, दूध उत्पादन में काफी अच्छी होती है. एक स्वस्थ्य और अच्छी नस्ल की बकरी एक दिन में तीन से चार किलो तक दे देती है. इसके अलावा यह साल में दो से तीन बच्चे भी पैदा करती है. अगर उन्नत किस्म के बकरे या बकरियां पैदा होंगे तो यह पशुपालकों की आय बढ़ाने में भी काम आएंगे. कुछ पशुपालक बकरी और बकरों को पालकर बेचने का काम करते हैं तो उन्हें भी इससे लाभ होगा.
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