उत्तराखंड

क्या बच्चों को दी जा रही है एक्सपायरी डेट वाली वैक्सीन, मंत्रालय ने दिया ये जवाब

[ad_1]

हेल्नई दिल्ली.  3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन (Vaccine) लगाई जा रही है. अब तक करीब 40 लाख बच्चों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. लेकिन कुछ कुछ लोगों का कहना है कि किशोरों को एक्सपायरी टेड (Expiry date) वाली वैक्सीन दी जा रही है. वर्तमान में कोवैक्सिन (Covaxin) वैक्सीन किशोरों को लगाई जा रही है. इस बात को लेकर मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया है. मंत्रालय ने कहा है कि यह पूरी तरह अफवाह है और अधूरी जानकारी के आधार पर झूठी बातें फैलाई जा रही हैं. मंत्रालय ने साफ किया है कि कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ (असर खत्म होने वाली अवधि) को नियामक एजेंसियों ने जांच के बाद नवंबर तक बढ़ा दिया गया है. यह वैक्सीन किसी भी दूसरी वैक्सीन की ही तरह असरदार है. फिलहाल भारत में कौवैक्सिन ही एकमात्र वैक्सीन है जो किशोरों को लगाई जा रही है.

क्या सच में एक्सपायरी डेट वाली है वैक्सीन

बच्चों को फिलहाल कोवैक्सिन दी जा रही है. इस वैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक ने इसके लिए आवेदन दिया था. नियामक संस्था सीडीएससीओ (Central drug standard control organization) ने जांच-पड़ताल के बाद 25 अक्टूबर, 2021 को स्वदेशी तौर पर विकसित की गई वैक्सीन की शेल्फ लाइफ को उसके निर्माण की तारीख से 9 से 12 महीने तक बढ़ाने की मंजूरी दी थी. शेल्फ लाइफ के बढ़ा दिए जाने के बाद अस्पताल उन वैक्सीन का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनकी अवधि समाप्त हो रही है और जो बर्बाद हो सकती है. 15-18 उम्र के समूह में 10 करोड़ लोग आते हैं जिन्हें पूरी तरह से वैक्सीन लगाने के लिए 20 करोड़ डोज की ज़रूरत होगी.

क्यों बढ़ाई गई वैक्सीन की शेल्फ लाइफ

वैक्सीन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, निष्क्रिय या सहायक वायरस का एक जटिल मिश्रण होता है. जिसका काम इम्यून रिस्पांस और वैक्सीन की क्षमता को बढ़ाना होता है. दूसरे उत्पादों औऱ दवाइयों की तरह ही वैक्सीन की भी एक्सपायरी डेट (खत्म होने की अवधि) होती है. जिसे निर्माता औऱ आधिकारिक नियामक तय करते हैं. धीमी रासायनिक प्रक्रिया के चलते वैक्सीन के घटक वक्त के साथ खराब होते जाते हैं और अपना असर खो देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक स्थिरता किसी भी वैक्सीन की वह काबिलियत है जो उसकी रासायनिक, भौतिक और सूक्ष्म जीवी और जैविक क्षमता को बनाए रखती है. इन सब घटकों के आधार पर वैक्सीन की सेल्फ लाइफ बढ़ाई गई थी.

कैसे आंकी जाती है शेल्फ लाइफ

शेल्फ लाइफ जांचने के लिए उत्पाद को विभिन्न तापमान पर अलग-अलग अवधि के लिए रख कर उसकी क्षमता को जांचा जाता है. जिस अवधि तक उत्पाद, विशेष स्थितियों में असरदार और स्थिर रहती है उसे उसकी शेल्फ लाइफ माना जाता है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के हिसाब से वैक्सीन की शेल्फ लाइफ वह अवधि है जिस दौरान वह ठीक तरह से संग्रहित करके रख जाने पर खराब नहीं होती है. इसी हिसाब से वैक्सीन पर एक्सपायरी तारीख लिखी जाती है. खास बात यह है कि एक्सपायरी डेट से वैक्सीन की सुरक्षा पर असर नहीं पड़ता है, यह बस वैक्सीन के असर को कम करती है.

Tags: Children Vaccine, Corona, Health

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *