क्या तालिबान की वापसी के लिए जिम्मेदार हैं अमेरिकी दूत जालमे खलीलज़ाद?
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काबुल. अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर अभी वैश्विक मंथन जारी है कि ऐसा क्यों हुआ? अफगानिस्तान शांति वार्ता के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जालमे खलिलज़ाद ने अपनी प्रशंसा में कहा था कि अगर काबुल में कोई शांति ला सकता है तो सिर्फ वो. लेकिन अगर अभी के हालात देखे जाएं तो अमेरिका अपने सैनिक वापस बुला रहा है और दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं.
70 वर्षीय खलीलज़ाद अफगान-अमेरिकी डिप्लोमैट हैं जिन पर तालिबान से बातचीत का जिम्मा था. अगर अमेरिका के पक्ष से देखें तो वो सबसे लंबे युद्ध से बाहर निकल गया है लेकिन पीछे बहुत मुश्किलें छूट गई हैं. अब इसके लिए खलीलज़ाद को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
खलीलज़ाद काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से चुप हैं
मुखर वक्ता के रूप में पहचान रखने वाले खलीलज़ाद काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से चुप हैं. मिली जानकारी के मुताबिक वो बीते सप्ताह कतर में ही रहे हैं. इस दौरान वो फोन पर ही शांति व्यवस्था कायम करने के प्रयास कर रहे हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
अमेरिका के हडसन इंस्टिट्यूट में सीनियर फेलो हुसैन हक्कानी का कहना है-बीते वर्षों में खलीलज़दा अमेरिकी राष्ट्रपतियों को शांति संधि के बारे में बताते रहे लेकिन सच में ये एक आत्मसमर्पण था. अफगान शांति वार्ता में खलीलज़ाद 2018 में विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए गए थे. उन्हें अमेरिका की तरफ से इस वार्ता में ऑन इन ऑन माना जाता था.
बाइडन ने भी माना- हम आंकलन नहीं कर पाए
लेकिन अब खुद राष्ट्रपति जो बाइडन कह चुके हैं कि उनके अंदाजा से बेहद कम समय में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. खलीलज़ाद इस शांति वार्ता के अगुवा थे अब वो पूरी तरीके से फेल हो चुकी है. अफगानी नागरिक तालिबानी सरकार आने के बाद देश छोड़कर भाग रहे हैं.
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