काबुल से दूतावास कर्मचारियों को वापस लाना मुश्किलभरा काम था: एस. जयशंकर
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नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा है कि काबुल में मची तबाही के बीच दूतावास कर्मचारियों (Embassy Personnel) को वापस भारत लेकर आना एक मुश्किलभरा काम था. विदेश मंत्री ने ट्वीट कर कहा है-भारतीय राजदूत और दूतावास के कर्मचारियों को काबुल से भारत लाना एक मुश्किलभरा और जटिल काम था. उन सभी लोगों का शुक्रिया जिनकी वजह से ये संभव हो सका.
इस बीच विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि भारत के अफगानिस्तान में राजदूत और अन्य सभी भारतीय कर्मचारी वापस लौट चुके हैं. मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है-काबुल की स्थितियों को देखते हुए यह तय किया गया था कि दूतावास के कर्मचारियों को तुरंत वापस लाया जाएगा. ये काम दो चरणों में पूरा किया गया. आज दोपहर में राजदूत और अन्य कर्मचारी दिल्ली पहुंच गए हैं.
पीएम की बड़ी बैठक जारी
बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर वहां फंसे भारतीयों को निकालने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. अफगानिस्तान के हालातों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे हैं. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद हैं. बैठक में अफगानिस्तान के हालात पर और वहां फंसे भारतीयों को कैसे सुरक्षिच निकाला जाए इस बात पर भी बातचीत हो रही है.
अमरुल्लाह सालेह ने खुद को संरक्षक राष्ट्रपति घोषित किया
उधर, अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को संरक्षक राष्ट्रपति घोषित किया है. सालेह ने ट्वीट कर कहा है कि वह अपने लिए समर्थन जुटा रहे हैं. सालेह ने ट्वीट करके लिखा- ‘स्पष्टत: अफगानिस्तान के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी, देश छोड़कर भागने, इस्तीफे या फिर मौत के बाद उपराष्ट्रपति, कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है. मैं वर्तमान में अपने देश में हूं और मैं कानूनी तौर पर केयर टेकर राष्ट्रपति हूं. मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं.’
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