उत्तराखंड

कोरोना के भीषण हालात पर कर्नाटक की एडवायजरी- अक्टूबर तक केरल न जाएं लोग

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नई दिल्ली. केरल में कोरोना के भयावह हालात को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने अपने राज्य के नागरिकों के लिए एडवायजरी जारी की है. इस एडवायजरी में कहा गया है कि अक्टूबर महीने के अंत तक लोगों को केरल की यात्रा से परहेज करना चाहिए. साथ ही सरकार ने शैक्षणिक, नर्सिंग, पैरामेडिकल संस्थाओं से कहा है कि उनके जो कर्मचारी अभी केरल में हैं वो अक्टूबर महीने तक वहीं रहें.

केरल सरकार राज्य में 19 हजार से ज्यादा मामले रोज सामने आने के बावजूद संडे लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू हटाने की घोषणा कर चुकी है. कोरोना महामारी के बीच निपाह वायरस ने भी राज्य में दस्तक दे दी है. एक 12 वर्षीय बच्चे की मौत इस वायरस की वजह से हो चुकी है.

कोरोना के साथ निपाह की मौजूदगी को जानकार बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं. कई मामलों में निपाह और कोरोना वायरस का स्वभाव एक जैसा ही नजर आता है, लेकिन दोनों में कुछ अंतर भी हैं.

केरल में नई मुश्किल बना निपाह वायरस
निपाह वायरस को जूनोटिक माना जाता है. जूनोटिक का मतलब है- एक ऐसा संक्रमण, जो जानवर से इंसानों में या इंसानों से जानवरों में फैल सकता है. निपाह का नाम मलेशिया के एक गांव सुनगई निपाह के नाम पर रखा गया है.

निपाह की पहचान 1999 में हुई थी, लेकिन अभी तक निपाह को ठीक करने वाली कोई वैक्सीन और दवा मौजूद नहीं है. WHO ने WHO रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्लूप्रिंट के लिए निपाह की पहचान प्राथमिक बीमारी के तौर पर की है. स्थानीय स्तर पर ही मामले मिलने के कारण इस बीमारी को कोरोना वायरस की तरह विश्व स्तर पर पहचान नहीं मिली है. मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश और भारत में निपाह वायरस के मामले देखे गए हैं.

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