आगामी छह महीनों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में शुरु हो जाएगी किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा
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हिमाचल प्रदेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में आगामी छह महीनों में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो जाएगी। इसके लिए उपकरणों की खरीद और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। किडनी ट्रांसप्लांट के साथ क्रॉनिक एंबुलेटरी पेरिटोनियल डायलिसिस (सीएपीडी), प्लाज्मा फेरेसिस और आईसीयू डायलिसिस की सुविधा भी शुरू होगी। वहीं, एम्स में अब 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा मिल रही है।
एम्स बिलासपुर के नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से किडनी से संबंधी सभी रोगों का उपचार किया जा रहा है। वर्तमान में यहां पांच डायलिसिस मशीनें काम कर रही हैं। अब तक 220 मरीजों को हेमो डायलिसिस का उपचार दिया जा चुका है। इसके अलावा नेफ्रोलॉजी सेवाओं में किडनी बायोप्सी, टनल हेमो डायलिसिस कैथेटर और एवीएफ की भी सुविधा मिल रही है। बीते माह नवंबर में एक मरीज की किडनी बायोप्सी भी की जा चुकी है। इन सब सुविधाओं के बाद अब एम्स बिलासपुर में किडनी ट्रांसप्लांट, सीएपीडी, प्लाज्मा फेरेसिस और आईसीयू डायलिसिस की सुविधा शुरू करने जा रहा है। छह माह के भीतर यह उपकरण एम्स में स्थापित कर दिए जाएंगे।
एम्स बिलासपुर में किडनी ट्रांसप्लांट दिल्ली एम्स के रेट पर किया जाएगा। एक से डेढ़ लाख रुपये खर्च आएगा, जबकि निजी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट पर करीब आठ लाख रुपये खर्च लगता है। प्रदेश में अभी सिर्फ आईजीएमसी शिमला में ही किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है, लेकिन वह भी कोरोना महामारी के बाद से बंद है।
किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एम्स बिलासपुर डोनर प्रोग्राम भी शुरू करेगा। प्रोग्राम के तहत ट्रांसप्लांट शुरू करने के लिए विशेष ओपीडी में मरीजों को चिह्नित किया जाएगा। इसमें मरीज और किडनी देने वाले दोनों का परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद सभी जांचें कराई जाएंगी। सब कुछ सही मिलने पर ट्रांसप्लांट हो सकेगा।किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारी चल रही है। उपकरणों की खरीद शुरू कर दी गई है। साथ ही अन्य औपचारिकताएं भी पूरी की जा रही हैं। छह माह के भीतर एम्स बिलासपुर में इसकी सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी।
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