संजय गांधी के सहयोगी से शरद पवार के खास तक, जानिए नवाब मलिक के राजनीतिक सफर के बारे में
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नई दिल्ली. करीब साल-दो साल के 1-2 नाम महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों ने देशभर में सुर्खियां बटोर रहे हैं. ज्यादातार विवादित और आरोप-प्रत्यारोप के कारणों से. इनमें एक हैं- शिवसेना के सांसद संजय राऊत (Shiva Sena MP Sanjay Raut) और दूसरे- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक (Nawab Malik). इनमें संजय राऊत यदि शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Maharashtra CM Udhav Thackeray) के खास हैं तो नवाब मलिक एनसीपी प्रमुख शरद पवार (NCP Chief) के. राऊत और मलिक में एक और समानता है. राऊत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) कालेधन को गलत तरीकों से वैध करने (Money Laundering) के प्रयासों की जांच कर रहा है. जबकि नवाब मलिक को ऐसे ही मामले में ईडी ने बुधवार, 23 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया है. इस घटना के बाद मलिक के बारे में अधिक जानने की दिलचस्पी हर किसी की हो सकती है. लिहाजा, उनके राजनीतिक सफर के बारे में थोड़ा जानने की कोशिश करते हैं.
माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम से जुड़े मामले में पकड़े गए हैं
नवाब मलिक महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में अल्पसंख्यक विकास (Minority Development) मंत्री हैं. कौशल विकास (Skill Development) मंत्रालय का काम भी देखते हैं. बीते साल मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (NCB) की मुंबई स्थित क्षेत्रीय इकाई ने नशे की खरीद-फरोख्त के एक बड़े मामले का खुलासा किया था. उस मामले में नवाब मलिक (Nawab Malik) के दामाद समीर खान को भी गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद नवाब ने ‘राजनीतिक कौशल’ दिखाया. एनसीबी (NCB) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े (Samir Wankhede) को कथित भ्रष्टाचार और जाति संबंधी दस्तावेज से छेड़छाड़ जैसे तमाम मामलों के लिए कठघरे में खड़ा किया. इसके नतीजे में एनसीबी ने समीर वानखेड़े को उनकी तात्कालिक जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया.
हालांकि अभी ईडी (ED) ने नवाब को जिस मामले में गिरफ्तार किया है, वह अधिक संजीदा नजर आता है. क्योंकि यह मामला माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) से जुड़ा हुआ है. इस मामले की तह तक जाने और नवाब से पूछताछ के लिए ईडी (ED) उनकी 14 दिन की हिरासत मांगी थी. लेकिन अदालत ने अभी 3 मार्च तक की हिरासत मंजूर की है.
संजय गांधी और फिर उनकी पत्नी मेनका के भी सहयोगी रहे हैं
नवाब मलिक (Nawab Malik) के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत युवक कांग्रेस (Youth Congress) के नेता के रूप में हुई. इसमें उन्होंने तेजी से तरक्की करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi) के पुत्र संजय तक अपनी पहुंच बनाई. इसी बीच, जब हवाई दुर्घटना में संजय गांधी (Sanjay Gandhi) का निधन हुआ तो उनकी पत्नी मेनका ने कांग्रेस से अलग राह पकड़ी. मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने ‘संजय विचार मंच’ बनाया और नवाब मलिक उसका हिस्सा बन गए. इस संगठन के बैनर तले नवाब ने 1984 में मुंबई उत्तर-पूर्व से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन बुरी तरह हारे. आगे चलकर, मेनका गांधी ने ‘संजय विचार मंच’ (Sanjay Vichar Manch) भंग कर दिया और नवाब मलिक कांग्रेस में लौट आए.
संजय गांधी और फिर उनकी पत्नी मेनका के भी सहयोगी रहे हैं
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