उत्तराखंड

सुसाइड, हंगामा और सियासत… जानें NEET से तमिलनाडु के निकलने का क्या होगा असर?

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चेन्नई. नीट परीक्षा (NEET Exam) तमिलनाडु (Tamilnadu) के लिए एक भावनात्मक मुद्दा रही है. पिछले कुछ सालों में दर्जनों की संख्या में छात्रों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को नया विधेयक (The Tamil Nadu Admission to Undergraduate Medical Degree Courses Bill) पारित होने और इसके कानून बनने के बाद राज्य में नीट परीक्षा (NEET Exam) आयोजित नहीं की जाएगी और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में कक्षा 12 में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा. इस तरह के विधेयक अन्नाद्रमुक की सरकार में 2017 में भी पारित हुए थे, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल सकी. बता दें कि 2017 में छात्रा एस. अनिथा की आत्महत्या ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था, बारहवीं में अच्छे नंबर (1176/1200) लाने के बावजूद अनिथा को नीट में सफलता नहीं मिली थी. मेडिकल परीक्षा में असफलता के बाद अनिथा (S. Anitha Case) ने सुसाइड कर लिया और इस पर लोगों के भावुक प्रतिक्रिया दी. अन्नाद्रमुक (AIADMK) हो या स्टालिन (MK Stalin) के नेतृत्व वाली डीएमके, सबने नीट को खत्म करने की मांग की थी.

अचानक से क्यों भड़का NEET का मामला
तमिलनाडु में सलेम के पास एक गांव में रहने वाले छात्र धनुष ने रविवार को नीट परीक्षा से कुछ घंटे पहले आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि उसे परीक्षा में असफल होने का डर था. घटना के बाद से अन्नाद्रमुक और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. राज्य सरकार का आरोप है कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है. मेट्टूर रेंज के एक पुलिस अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि तड़के करीब 3.45 बजे छात्र की मां ने उसे घर में फंदे से लटका पाया था. यह पूछे जाने पर कि क्या कोई सुसाइड नोट मिला है, पुलिस अधिकारी ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि पिछले दो प्रयासों में परीक्षा में असफल होने के बाद किशोर को तीसरी बार राष्ट्रीय परीक्षा में शामिल होना था. पुलिस ने कहा कि उसके घर के पास बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और आत्महत्या से उसकी मौत से गांव में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई.

नीट पर DMK का स्टैंड
धनुष की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘नीट के खिलाफ हमारा कानूनी संघर्ष अब सरकार की बागडोर संभालने के बाद शुरू हो गया है. हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र सरकार नीट को रद्द नहीं कर देती.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सभी मुख्यमंत्रियों से संपर्क कर इस मुद्दे पर अन्य सभी राज्यों का समर्थन हासिल करेगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हम जीतेंगे.’ स्टालिन ने कहा कि इसके अलावा, ‘नीट के संचालन में अनियमितता, प्रश्नपत्र का लीक होना, किसी अभ्यर्थी के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति के परीक्षा में बैठने सहित धोखाधड़ी की कई उदाहरण और छात्रों की ‘आत्महत्याओं’ ने केंद्र का हृदय परिवर्तन नहीं किया. उन्होंने छात्र समुदाय से अपील की कि वे हिम्मत न हारें. पीएमके के संस्थापक एस रामदॉस ने कहा कि नीट सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए.

NEET और तमिलनाडु की राजनीति
बता दें कि नीट परीक्षा की शुरुआत कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौरान हुई थी, स्टालिन की पार्टी DMK इसका हिस्सा थी. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि ने तमिलनाडु के लिए राष्ट्रपति से नीट परीक्षा से छूट हासिल कर ली थी. हालांकि 2014 में सरकार बदलने के बाद अन्नाद्रमुक को बीजेपी सरकार में राष्ट्रपति से ऐसी छूट नहीं मिल पाई. हालांकि पलानीस्वामी की सरकार ने नीट के खिलाफ विधानसभा में बिल भी पारित किया था, लेकिन उसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पाई.

दो सालों में 15 छात्रों ने की आत्महत्या- रिपोर्ट
विधानसभा में मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में पहली बार नीट का आयोजन तब किया गया, जब पलानीस्वामी मुख्यमंत्री थे. परीक्षा उस समय भी नहीं हुई थी, जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जिन छात्रों ने भी आत्महत्याएं कीं, वो पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री रहते हुईं. तमिलनाडु का तर्क रहा है कि नीट परीक्षा गरीब परिवारों और ग्रामीण इलाकों के ब्रिलिएंट बच्चों के मुकाबले अमीर परिवारों के बच्चों को मदद करती है, जो प्राइवेट ट्यूशन कर सकते हैं.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में मेडिकल परीक्षा की तैयारी करने वाले 15 छात्रों ने आत्महत्या की है. नीट परीक्षा लागू होने के पिछले 4 सालों और उससे पहले के 4 सालों के मेडिकल एडमिशन पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि राज्य बोर्ड के छात्रों के मेडिकल एग्जाम उत्तीर्ण करने की संख्या में 10 गुने की गिरावट आई है. ये संख्या 380 से घटकर अब 340 हो गई है. हालांकि नीट परीक्षा पास करने वालों में सीबीएसई के छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है. ये संख्या में 3 से 200 तक का इजाफा हुआ है. इनमें से ज्यादातर छात्रों ने प्राइवेट ट्यूशन किया था.

नए विधेयक का क्या होगा असर
नए विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, भारतीय औषधि और होम्योपैथी में कक्षा 12 में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, पीएमके तथा अन्य दलों ने समर्थन किया और यह ध्वनि मत से पारित हो गया. भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया.

विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार
ये बात ध्यान रखी जानी चाहिए कि तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों में इस साल एडमिशन नीट परीक्षा के आधार पर ही मिलेगा. वहीं स्टालिन सरकार के नए बिल (तमिलनाडु एडमिशन टू अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्सेज बिल) को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार रहेगा. अगर राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिलती है, तो डीएमके की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राष्ट्रपति की मंजूरी नए विधेयक के लिए जरूरी है.

मंजूरी के बाद नया विधेयक अगले साल से प्रभावी होगा, जिसमें छात्रों को 12वीं की परीक्षा के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मिल सकेगा.

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