राजस्थान के इस जिले का मॉडल दिल्ली में लागू करने जा रही केजरीवाल सरकार, जानें क्यों
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नई दिल्ली. दिल्ली में भूजल स्तर (Ground Water Level) को बढ़ाने और वर्षा जल (Rain Water) का कुशलता पूर्वक उपयोग करने के लिए केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) अनोखा प्रयोग शुरू करने जा रही है. इसके लिए दिल्ली सरकार (Delhi Government) राजस्थान के एक जिला डूंगरपुर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल (Rainwater Harvesting Systems) को दिल्ली में लागू करेगी. इस मॉडल को ‘इनलाइन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नाम से जाना जाता है. यह मॉडल काफी किफायती है, जिसे सफलता पूर्वक राजस्थान के डूंगरपुर जिले में अपनाया गया है. दिल्ली के जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन (satyendra jain) ने सोमवार को ने कहा कि यह जल संचय करने वाली प्रणाली नई तकनीकों का उपयोग करके बनाई गई है और बारिश के पानी को जल संचयन करने वाले गड्ढे के बजाये सीधा बोरवेल में भेजती है.
केजरीवाल सरकार राजस्थान मॉडल को दिल्ली में लागू करेगी
बता दें कि दिल्ली में बारिश के पानी के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना तैयार किया है. इसके लिए दिल्ली सरकार अब वित्तीय सहायता देने का भी फैसला किया है. दिल्ली के जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने सोमवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की प्रक्रिया को और सरल बना दिया है. अब केजरीवाल सरकार रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने वालों को 50 हजार रुपये तक की वित्तीय सहायता देगी. साथ ही पानी के बिलों पर 10 फीसद की छूट भी देगी.
बारिश के पानी के संरक्षण करने वालों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए दि्ल्ली सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.
क्या डूंगरपुर रेन वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल
बता दें कि राजस्थान के जिला डूंगरपुर में इस प्रणाली में बारिश का पानी पाइप के अंदर ही फिल्टर हो जाता है और इसे अलग से फिल्टर सिस्टम या हार्वेस्टिंग पिट बनाने की जरूरत नहीं पड़ती. ‘इनलाइन’ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में बारिश के पानी का पाइप सीधा एक फिल्टर पाइप से जुड़ा होता है. इस फिल्टर पाइप में जियोटेक्सटाइल की झिल्ली, बालू और बजरी-पत्थर होते हैं, जो पानी को उसके प्रवाह के दौरान ही साफ कर देते हैं. इस फिल्टर की कुल लंबाई लगभग 90 सेंटीमीटर होती है.
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कितना सस्ता है यह मॉडल
इसके अलावा यह पारंपरिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल की तुलना में काफी सस्ता होता है. जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस संबंध में कहा कि इस प्रणाली के लागत प्रभावी होने का यह कारण है कि इसके लिए बड़ी संरचनाओं की आवश्यकता नहीं होती है. एक तरफ जहां पारंपरिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए 75 हजार से एक लाख रुपये तक का खर्च आता है. वहीं, दूसरी तरफ इनलाइन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में सिर्फ 16 हजार रुपए की लागत ही आती है.
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