उत्तराखंड

भारत के टीकाकरण ‘शतक’ में कोविशील्ड ने खेली सबसे बड़ी पारी, कोवैक्सीन ने किया निराश

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(संतोष चौबे)

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ टीकाकरण में भारत ने 100 करोड़ डोज का आंकड़ा छू लिया है. देश के इस सफर को पूरा करने में तीन वैक्सीन उम्मीदवारों ने अहम भूमिका निभाई. इनमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में तैयार हुई कोविशील्ड (Covishield), भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) और रूस की स्पूतनिक का नाम शामिल है. इन तीनों में वैक्सीन में भारत का ‘शतक’ पूरा कराने में सबसे बड़ी पारी कोविशील्ड की रही.

CoWIN पर दर्ज आंकड़े बताते हैं कि अब तक लगे कुल डोज में 88 फीसदी योगदान कोविशील्ड का है. जबकि, रफ्तार हासिल करने में असफल रही कोवैक्सीन की हिस्सेदारी महज 11.44 फीसदी है. बाजार से गायब रही स्पूतनिक के मामले में यह आंकड़ा 0.10 प्रतिशत है. देश में 16 जनवरी से टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी. तीनों में व्यक्ति को दो डोज लेने की जरूरत होती है.

ऐसे हुआ था आगाज
शुरुआत में SII की मासिक क्षमता करीब 7 करोड़ डोज के उत्पादन की थी. जबकि, भारत बायोटेक कोवैक्सीन के 1.25 करोड़ डोज हर महीने तैयार कर सकता था. मई में दोनों कंपनियों ने भरोसा जताया था कि वे कोविड की दूसरी लहर के बाद अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा देंगी.

एक और लहर के डर और जारी लहर से बचाव के बीच वैक्सीन की मांग एकदम बढ़ गई और निर्माताओं की मौजूदा क्षमता के मद्देनजर देश इस जरूरत को पूरा करने की स्थिति में नहीं था. भारत ने अन्य देशों से वैक्सीन आयात करने की कोशिश की, लेकिन इस काम असफल रहा. नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के तहत काम करने वाले कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉक्टर एनके अरोरा ने भरोसा दिलाया था कि SII ने जून के अंत तक उत्पादन क्षमता 10-12 करोड़ बढ़ा दी है और भारत बायोटेक ने भी जुलाई के अंत तक कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने का वादा किया है. हालांकि, SII ने उत्पादन को पहले 10-12 करोड़ से बढ़ाकर अब 20-22 करोड़ डोज प्रतिमाह कर दिया है. जबकि, भारत बायोटेक इस काम में सफल नहीं हुआ.

भारत बायोटेक की कहानी
शुरुआती तौर पर भारत बायोटेक की उत्पादन क्षमता 20 करोड़ डोज प्रतिवर्ष थी. अप्रैल में कंपनी ने बयान जारी किया कि उन्होंने उत्पादन बढ़ाकर प्रतिवर्ष करीब 70 करोड़ डोज कर दिया है. साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि उत्पादन को लेकर साझेदारी के मौके भी तलाशे जा रहे हैं. कंपनी के चेयरमैन और एमडी कृष्णा ऐल्ला ने भरोसा जताया कि जुलाई-अगस्त तक उनकी कंपनी की उत्पादन क्षमता के 80 करोड़ डोज प्रतिवर्ष तक पहुंचने का अनुमान है.

जुलाई में कंपनी ने यह भी कहा था कि उत्पादन को 100 करोड़ डोज तक ले जाने के लिए वे चार और प्लांट्स तैयार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में भारत सरकार ने अगस्त और दिसंबर के बीच कोवैक्सीन के 55 करोड़ डोज मिलने का अनुमान जताया था. यानि हर महीने लगभग 10 करोड़ डोज. कोवैक्सीन की मौजूदा उत्पादन क्षमता बढ़कर भी 5.5 करोड़ डोज प्रतिमाह हुई है.

लेकिन भारत इस काम में असफल रही और यह एक बड़ा कारण रहा, जिसके चलते भारत योजना के मुताबिक, जुलाई में टीकाकरण का आंकड़ा पूरा नहीं कर सका. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश को जुलाई में कोवैक्सीन के 2.5 करोड़ डोज मिले थे. अगस्त और सितंबर में यह आंकड़ा 3.5-3.5 करोड़ था. केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफनामे में कहा गया था कि भारत बायोटेक का हर महीने 10-12 करोड़ डोज सप्लाई करने में असफल होने के चलते न केवल अगस्त में 25 करोड़ भारतीय को वैक्सीन देने का लक्ष्य पिछला, बल्कि इसके चलते सरकार जुलाई तक 51.6 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने के लक्ष्य से चूक गई.

SII और कोविशील्ड की कहानी
अगस्त में भारत सरकार ने भरोसा जताया था कि वैक्सीन की उपलब्धता की दोबारा समस्या नहीं होगी. साथ ही सरकार ने अगस्त और दिसंबर के बीच कोविशील्ड और कोवैक्सीन के 136 करोड़ डोज की डिलीवरी का वादा किया था. इनमें अगस्त में 25.65 करोड़, सितंबर में 26.15 करोड़, अक्टूबर, नवंबर में प्रतिमाह 28.25 करोड़ और दिसंबर में 28.5 करोड़ डोज शामिल हैं. इन 136 करोड़ डोज में SII की हिस्सेदारी 115 करोड़ डोज है, यानि 84.55 फीसदी.

भारत सरकार के नोट ‘Covid-19 Public Health Response Pro-active, Pre-emptive and Graded Response guided by Epidemiological and Scientific Rigour’ के अनुसार, अनुमान है कि साल 2021 में SII कोविशील्ड के 173.4 करोड़ डोज का उत्पादन करेगी, जिससे 86.7 करोड़ लोगों को पूरी तरह वैक्सीन लगाई जा सकेगी. जबकि, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के 28.5 करोड़ डोज के उत्पादन का अनुमान है, जिससे 14.25 करोड़ लोगों को टीका लग सकेगा.

स्पूतनिक V की कहानी
देश में अब तक स्पूतनिक V के 10.46 लाख डोज लगाए गए हैं. वैक्सीन को अप्रैल में मंजूरी मिल गई थी. उस दौरान रूस में मौजूद इस वैक्सीन के भंडार को आयात करने के बजाय भारत में ही उत्पादन का लक्ष्य था. उसी महीने कुछ भारतीय निर्माताओं के साथ समझौते के बाद यह घोषणा की गई कि कंपनिया हर साल रूसी वैक्सीन के 85 करोड़ डोज तैयार करेंगी. ऐसे में अगर पूरे उत्पादन का इस्तेमाल भारत में हो, तो 42.5 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो सकेगा.

लेकिन सरकार के नोट के अनुसार, वैक्सीन का उत्पादन जुलाई तक शुरू नहीं हुआ था. नोट में कहा गया है कि देश को अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के बीच स्पूतनिक V के कम से कम 2.5 करोड़ डोड मिलने की उम्मीद थी.

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