Leopard in Shimla: 15 ट्रैप कैमरे, 7 पिंजरे लगाए, 7 दिन बाद भी आदमखोर तेंदुए को नहीं पकड़ पाया वन विभाग
[ad_1]
शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला (Shimla) के डॉउन डेल से दिवाली की रात को घात लगाए तेंदुए (Leopard in Shimla) ने 5 साल के योगराज की ईहलीला समाप्त कर दी. योगराज की तलाश के लिए पुलिस और वन विभाग की टीम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. जिसके बाद योगराज करीब 45 घंटे बाद योगराज के घर के साथ लगते जंगल से उसका अवशेष मिल पाया.
अवशेष मिलने के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कर योगराज के परिजनों को उसका शव सौंप दिया. लेकिन योगराज की जान लेने वाले आदमखोर तेंदुआ को वन्य जीव विभाग की टीम अब तक नहीं तलाश पाई है. इस हादसे के 6 दिन बाद भी वन्यजीव विभाग की टीम के हाथ खाली ही हैं. हालांकि पुलिस की ओर से लिए गए सैंपल की फॉरेंसिक रिपोर्ट अभी तक नहीं आ पाई है. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तेंदुए के बाल की पुष्टि हो पाई है. इसके बाद पुलिस ने शिनाख्त कर परिजनों को योगराज का शव सौंपा था.
तेंदुए को पकड़ने के लिए विभाग ने 15 ट्रैप कैमरे समेत लगाए 7 पिंजरे
आदमखोर तेंदुए को लेकर भले ही वन्यजीव विभाग फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर उसे आदमखोर घोषित करने की तैयारी कर रही है. लेकिन आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए वन्यजीव विभाग की टीम पिछले 6 दिनों से लगातार ट्रैक कैमरा और पिंजरा लगाए बैठी है. अब तक वन्य जीव विभाग की टीम ने 15 से ज्यादा ट्रैप कैमरे डॉउनडेल, फागली और धोबी घाट के जंगल में लगा दिए हैं, लेकिन उसमें अब तक न तो आदमखोर तेंदुआ दिखाई दिया और न ही पिंजरे में आदमखोर तेंदुआ पकड़ में आया है. विभाग ने क्षेत्र में रह रहे लोगों को जागरुक करने के लिए होर्डिंग और बोर्ड लगाए हैं जिसमें अपने आसपास के क्षेत्र को साफ रखने की चेतावनी जारी की गई है.
क्षेत्र के लोगों को दिख रहा सुबह शाम तेंदुआ, विभाग से पकड़ने की मांग
हालांकि, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का कहना है कि आजकल यहां एक मादा तेंदुआ अपने बच्चे के साथ दिखाई देती है जो किसी भी वक्त किसी और बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वन्यजीव विभाग आदमखोर तेंदुए को पकड़ कर पिंजरे में कैद करें या फिर मार डाले. लोगों का कहना है कि 3 माह पहले शहर के कनलोग क्षेत्र में भी एक प्रवासी परिवार की 8 साल की बच्ची को भी तेंदुआ उठाकर ले गया था, जिसे आदमखोर घोषित कर उसे मारने के आदेश किए गए थे. लेकिन तेंदुआ न तो वन्यजीव विभाग के पिंजरे में कैद हुआ और न ही उसे मारा गया. उन्होंने कहा कि जिस तरह की घटनाएं शहर के बीचोबीच हो रही है उससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है.
ख़ौफ़ के साए में जी रहे शिमलावासी आवारा कुत्तों, बंदरों और तेंदुए के आतंक से परेशान
एक ओर जहां शहर में आवारा कुत्ते और बंदरों के आतंक से लोग परेशान हो रहे हैं. वहीं अब तेंदुए की दहशत लगातार बढ़ती जा रही है जिससे जंगल के साथ लगते रिहायशी घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि शहर में 3 माह के भीतर भी दो बड़ी घटनाओं के बाद इस आदमखोर तेंदुए को पकड़कर मारा जाना चाहिए. और साथ ही जंगल से सटे क्षेत्रों में बाढ़ बंदी कर लोगों की जान बचाई जानी चाहिए.
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
[ad_2]
Source link