Makar Sankranti 2022: गोरखनाथ मंदिर में लगा श्रद्धालुओं का रेला, हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान गोरक्षनाथ को चढ़ाई खिचड़ी
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गोरखपुर. मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के पावन मौके पर गोरखनाथ मंदिर (Gorakhpur Temple) में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान गोरक्षनाथ (Gorakshnath) को खिचड़ी अर्पित करते हैं. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है. मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा, खाली हाथ नहीं लौटा. ठीक वैसे ही, जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता. आज पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई.
सुबह में चार बजे सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित किया. फिर नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ाई गई. इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए गए और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी चढ़नी शुरू हुई. मंदिर की ओर से कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. खिचड़ी महापर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सज धजकर पूरी तरह तैयार है. समूचा मंदिर क्षेत्र सतरंगी रोशनी में नहाया हुआ है.
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गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है, जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं. इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं. यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी-रोटी का इंतजाम है. यही नहीं, मंदिर परिसर में माहभर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है.
खिचड़ी चढ़ाने की प्राचीन मान्यता
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है. मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे. मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया. कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं. उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए. भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए.
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उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे. इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई. तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है. कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है.
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