उत्तराखंड

Manipur Elections: पहाड़ी इलाकों को ज्यादा अधिकार देने पर विवाद, दूसरे चरण का मुख्य मुद्दा बनकर उभरा ADC बिल

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इंफाल. मणिपुर के पहाड़ी इलाकों के लोगों के अहम मुद्दे शनिवार को दूसरे चरण के मतदान के दौरान केंद्र में हैं. मणिपुर में 10 पहाड़ी जिले हैं. जिनमें मुख्य रूप से नागा और कुकी जनजाति के लोग रहते हैं. ये दोनों राज्य की दो प्रमुख जनजातियां हैं. दूसरे चरण में 22 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिसमें अनुसूचित जनजातियों के लिए 19 आरक्षित सीटों में से 11 शामिल हैं. राज्य की 53% आबादी वाले मैतेई लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 8% है. इसके बाद नागा (24%) और कुकी (16%) राज्य के शेष इलाकों में रहते हैं. विधानसभा की 60 में 40 सीटें इम्फाल घाटी में हैं, जबकि शेष सीटें अन्य पहाड़ी जिलों में हैं.

इन तीनों जातीय समूहों में कई मतभेद हैं. लेकिन एक महत्वपूर्ण कारण जिसने नागा और कुकी को एकजुट किया है, वह है मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) विधेयक, 2021. राज्य विधानसभा में इसका मसौदा विधेयक पेश करने की मांग एक बड़ा मुद्दा है और मणिपुर में दूसरे चरण के मतदान में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है.

पिछले साल अगस्त में सभी पहाड़ी जिलों के सभी 20 विधायकों ने पार्टी लाइन को छोड़कर इस बिल का मसौदा तैयार किया था. जिसमें हिल एरिया कमेटी (एचएसी) और छह मौजूदा स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) को ज्यादा ताकत देने का प्रावधान है. इस मसौदा विधेयक को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को भेजा गया था. लेकिन अभी तक इस बिल को राज्य विधानसभा में पेश किया जाना बाकी है.

ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) के महासचिव एसएम एंड्रिया ने कहा कि जब भी हम आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों का दावा करते हैं, तो बहुसंख्यक मैतेई सरकार इसमें बाधा डारने के लिए हर संभव कोशिश करती है. अपने असंतोष को जताने के लिए कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) और ऑल नागा स्टूडेंट्स एसोसिएशन ऑफ मणिपुर (ANSAM) जैसे संगठन बिल को विधानसभा में पेश करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन, नाकेबंदी और हड़ताल भी करते रहे हैं. पिछले साल नवंबर में इन संगठनों के कई पदाधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया था.

Tags: Manipur, Manipur Elections

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