Manipur Elections 2022: मणिपुर में प्रतिबंधित संगठनों को ‘भुगतान’ का मामला, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे कांग्रेस नेता जयराम रमेश
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नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने शनिवार को कहा कि मणिपुर विधानसभा चुनाव (Manipur Assembly Elections) से ठीक पहले राज्य सरकार द्वारा ‘प्रतिबंधित चरमपंथी संगठनों को करोड़ों रुपये का भुगतान किए जाने’ को निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) का उल्लंघन नहीं ठहराया है और ऐसे में अब वह उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का रुख करेंगे. मणिपुर के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक रमेश ने ट्वीट किया, ‘निर्वाचन आयोग ने गत एक फरवरी और एक मार्च को मणिपुर सरकार की ओर से प्रतिबंधित चरमपंथी संगठनों को किए गए भुगतान को आश्चर्यजनक ढंग से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं ठहराया है. मैं उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर रहा हूं.’
उन्होंने दावा किया कि लंबे अंतराल के बाद चुनाव के समय भुगतान किया गया और इससे राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर चुनाव को प्रभावित किया गया है. कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को आयोग के पास इस मुद्दे और कुछ अन्य विषयों को लेकर शिकायत की थी. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद शामिल थे.
आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के बाद रमेश ने कहा था कि ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन’ (गतिविधि के निलंबन) के तहत गत एक फरवरी को चरमपंथी संगठनों को लगभग 15 करोड़ रुपये और एक मार्च को लगभग 95 लाख रुपये का भुगतान किया गया जो आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है. मणिपुर विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 फरवरी को हुआ था. दूसरे एवं आखिरी चरण का मतदान शनिवार को हो रहा है.
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मणिपुर सरकार का उग्रवादी समूहों को वजीफा देना आचार संहिता का उल्लंघन नहीं : सीईओ
मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) राजेश अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने अपनी गतिविधियां बंद करने की घोषणा करने वाले उग्रवादी समूहों को वजीफा जारी कर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया. सीईओ ने एक विज्ञप्ति में कहा कि चूंकि लाभार्थियों की पहचान चुनाव की घोषणा और आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले कर ली गयी थी तो मणिपुर विधानसभा चुनावों के संबंध में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है.
दरअसल, रमेश ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने चूड़ाचंदपुर, कांगपोक्पी, तेंगनोऊपाल और चंदेल जिलों में ‘मतदान प्रभावित’ करने के लिए एक फरवरी को प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों को 15.70 करोड़ रुपये जारी किए और एक मार्च को अतिरिक्त 92.65 लाख रुपये जारी किए.
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