उत्तराखंड

भारतीय नागरिकता की इंतजार में मर गए अमृतसर में बसे कई अफगान हिन्दू और सिख शरणार्थी

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चंडीगढ़. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद एक बार फिर भारत में रेफ्यूजियों (Reufgees In India) की नागरिकता पर चर्चा शुरू हो गई है. बीते सोमवार पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amrinder Singh) ने विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) से अपील की थी कि अफगानिस्तान के एक गुरुद्वारे में फंसे 200 सिखों समेत सभी भारतीयों को वतन वापस लाया जाए. उधर अभी भी पंजाब के अमृतसर में कई रेफ्यूजी सिख और हिन्दू परिवार अभी भी नागरिकता की कतार में लगे हुए हैं. सिटिजनशिपट अमेडमेंट एक्ट (CAA) के तहत उन्हें अभी तक नागरिकता नहीं मिल पाई है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अमृतसर में एक अफगान शरणार्थी ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर कहा- ‘अफगानिस्तान से कोई भी सिख या हिंदू भारत इसलिए आना चाहता है क्योंकि यह काबुल से बेहतर है. हम यहां कई दशकों से नागरिकता की उम्मीद में रह रहे हैं. हमारे कई रिश्तेदार भारतीय नागरिकता की आस में मर चुके हैं. मैं किसी को भारत आने की सलाह नहीं दूंगा.’

रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि ये परिवार भारत में अनिश्चितता का जीवन जी रहे हैं. उन्हें हर साल अपने शरणार्थी वीजा एक्सटेंड करने के लिए अपने कागजात जमा करने के लिए कहा जाता है और उन्हें किसी भी समय देश छोड़ने के लिए कहा जा सकता है. उनके पास भारतीय नागरिकों की तुलना में सीमित कानूनी अधिकार हैं. केंद्र ने सीएए को दिसंबर 2019 में पारित किया था. हालांकि, पंजाब में कांग्रेस सरकार ने जनवरी 2020 में सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था. अमरिंदर ने 31 दिसंबर, 2019 को कहा था ‘हम इसके खिलाफ  लड़ेंगे. भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल्यों को बदलने की कोशिश कर रही है. पंजाब सीएए लागू नहीं करेगा.’

‘शरणार्थियों के लिए भारत में कोई स्पष्ट नीति नहीं’
अमृतसर की अतिरिक्त उपायुक्त रूही दुग ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि स्थानीय अधिकारियों को नागरिक संशोधन विधेयक को लागू करने के लिए राज्य या केंद्र सरकार से कोई अधिसूचना मिली है. दुग ने कहा, ‘मुझे किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं है जिसे हाल के दिनों में भारतीय नागरिकता दी गई है.’ बता दें जिले में कई हिंदू और सिख शरणार्थी हैं जो धार्मिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान से गुरमीत सिंह ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि भारत अफगान हिंदू और सिखों के लिए एक अच्छा विकल्प है. हमारे कई रिश्तेदार और परिचित हैं जो पहले भारत गए थे. वहां उनकी स्थिति ठीक नहीं है. उनमें से कुछ वापस भी आ गए थे. भारत में शरणार्थियों के संबंध में कोई स्पष्ट नीति नहीं है.’

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