भारत में घटा माओवाद, 3 दशक में पहली बार सिर्फ 70 जिले प्रभावित: गृह मंत्रालय
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नई दिल्ली. भारत में माओवाद (Maoism) घटता दिख रहा है. देश में पहली बार तीन दशकों में इससे प्रभावित जिलों की संख्या तेजी से घटकर 70 हुई है. ये जिले 10 राज्यों में हैं. बिहार, ओडिशा और झारखंड में माओवाद सबसे बेहतर सुधार देखा जा रहा है. यह जानकारी गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में दी गई है.
इन 70 जिलों में से 25 जिलों को अब अधिक प्रभावित जिलों की श्रेणी में रखा गया है. ये 25 जिले 8 राज्यों में हैं. गृह मंत्रालय की नई सूची के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब माओवाद पूरी तरह खत्म हो चुका है. अब से 2 महीने पहले तक 11 राज्यों के 90 जिले माओवाद से प्रभावित थे. इनमें केंद्र से सुरक्षा को लेकर खर्च किया जा रहा था. साथ ही 7 राज्यों के 30 जिले सर्वाधिक प्रभावित थे.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अफसर ने कहा है कि अब माओवादियों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा भी करीब 70 फीसदी कम हुई है. 2009 में ऐसी 2258 घटनाएं और अब 2020 में ऐसी 665 घटनाएं हुईं. ये आंकड़े अब तक के सर्वाधिक हैं. वहीं 2010 में माओवाद के कारण सुरक्षाबलों और नागरिकों की मौत भी सर्वाधिक हुई. तब 1005 लोगों की मौत हुई थी. अब 2020 में यह मौतें घटकर 183 हो गई हैं. इन मौतों में 80 फीसदी की कमी आई है.
गृह मंत्रालय ने सुरक्षा स्थिति में सुधार, हिंसा में कमी और विकास कार्यों पर विचार करते हुए 1 जुलाई से सूची को संशोधित करने का निर्णय लिया है. सूची के अनुसार 10 राज्यों में केवल 70 जिले प्रभावित हैं और एसआरई योजना के अंतर्गत आते हैं. एसआरई के तहत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों को परिवहन, संचार, वाहनों को किराए पर लेने, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को खर्च देने, बलों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण आदि जैसे सुरक्षा संबंधी खर्चों की पूर्ति के उद्देश्य से केंद्र से सहायता मिलती है.
इससे जुड़े लोगों का कहना का कहना है कि 2009 से 2014 के मुकाबले 2015 से 2020 तक माओवादियों द्वारा अंजाम दी गई घटनाएं 47 फीसदी ही रहीं. सुरक्षा बलों ने जंगलों के अंदर कई कैंप खोले हैं जो कभी माओवादियों का गढ़ हुआ करते थे. इसके कारण वे लगातार हमले नहीं कर पा रहे हैं. 2,300 से अधिक मोबाइल टॉवर भी लगाए गए हैं, लगभग 5,000 किमी सड़कें बनाई गई हैं. निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचे का काम किया जा रहा है.
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