उत्तराखंड

अल्पसंख्यक आयोग का पंजाब सरकार को खत- मीट हलाल है या झटका, बताना जरूरी

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Minority Commission) ने गुरुवार को पंजाब को निर्देश दिए हैं कि मांसाहारी खाने के पैकेट पर हलाल और झटके (Halal/Jhatka) के अंतर को बताया जाए. आयोग ने कहा है कि होटल, रेस्टोरेंट में भी यह स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए कि परोसा जा रहा मीट हलाल है या फिर झटका.

भारत में जानवरों के स्लॉटर के ये दो सबसे प्रमुख तरीके हैं. आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा (Iqbal Singh Lalpura) ने पंजाब के मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी को इस संदर्भ में खत लिखा है. खत में कहा गया है कि मीट से संबंधित खाने के सभी पैकेट पर इसके बारे में स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए.

‘पंजाब के होटलों में इस वक्त सिर्फ हलाल मीट परोसा जा रहा है’
लालपुरा ने कहा है कि पंजाब के होटलों में इस वक्त सिर्फ हलाल मीट परोसा जा रहा है जो सिख धर्म में प्रतिबंधित है. उन्होंने खत में लिखा-राज्य के सभी होटल-रेस्टोरेंट में यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि मीट परोसते वक्त वो हलाल/झटका की कैटगरी बताएं. इस मामले में संभव हो तो जल्द कार्रवाई की जाए.

क्या होता है ‘झटका’ और ‘हलाल’ मांस
हिंदू और सिख अमूमन ‘झटका’ वाला मांस, जबकि मुस्लिम ‘हलाल’ मांस खाना पसंद करते हैं. हलाल में जानवर के गले की नस को काटकर तब तक छोड़ दिया जाता है जब तक कि उसका पूरा खून नहीं निकल जाए. झटका में जानवर के गर्दन पर तेज धारदार हथियार से वार करके उसे तुरंत मार दिया जाता है.

हाल में BCCI पर हुआ है विवाद
हाल में भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) तब विवादों से घिर गया था जब पता चला कि न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर में पहले टेस्ट मैच के दौरान भारतीय क्रिकेटरों के लिये केवल ‘हलाल’ मांस की सिफारिश की गयी है. भारतीय क्रिकेटरों के लिये तैयार व्यंजन सूची (मेन्यू) में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि पोर्क (सूअर का मांस) और बीफ (गौमांस) किसी भी रूप में भोजन का हिस्सा नहीं होने चाहिए.



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