मोदी सरकार ने पहली बार चीनी मिलों के अपशिष्ट से बनने वाले पोटाश पर सब्सिडी तय की, जानें इससे किसानों को कैसे होगा फायादा
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नई दिल्ली. पीएम मोदी कचरा से धन (Waste to Wealth) की परिकल्पना लगातार देश के सामने रख रहे हैं. इसी कड़ी में पीएम चार आर (R) की बात कहते हैं. ये चार आर हैं. Reduce, Reuse, Recycle और Repurpose. पीएम मोदी की इसी परिकल्पना को साकार करने की कड़ी में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने एक महत्वर्ण कदम उठाते हुए यह फैसला किया है कि अब चीनी मिलों के अपशिष्ट (Waste) से बनने वाले पोटाश पर सब्सिडी दी जाएगी. उर्वरक मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने ऐसा करने के लिए पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रयास किया और अब उनकी यह कोशिश रंग लाई है.
दरअसल, गन्ने की पेराई करने के बाद दो उत्पाद बनते हैं. गन्ने के रस एक तरफ तो चीनी बनता है. वहीं दूसरी तरफ गन्ने के रस से इथेनॉल का उत्पादन भी किया जाता है. इथेनॉल बनने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाल रंग का एक गाढ़ा द्रव्य बनता है. यह एक तरह का प्रदूषक है. इसके सुरक्षित निपटान की कोई प्रक्रिया अब तक नहीं तलाशी जा सकी है. इस समस्या से निपटने के लिए पिछले तीन सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस प्रदूषक लाल द्रव्य के निपटान (Incineration) पर सब्सिडी दिए जाने की शुरुआत हुई है.

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया पिछले कई दिनों से इसको लेकर प्रयास कर रहे थे.
गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी
इस लाल गाढ़े प्रदूषक द्रव्य से संबंधित इन समस्याओं को देखते हुए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की नई पहल, नई उम्मीदों को जगाने वाला है. अब मोदी सरकार ने निर्णय लिया है कि इस द्रव्य के जरिए बन रहे पोटाश पर भी सब्सिडी दी जाएगी। मोलासेस (Molasses) से बनने वाला यह नया पोटाश पूरी तरह से जैविक होगा. क्योंकि, इसके उत्पादन में किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं हो रहा बल्कि प्राकृतिक स्रोत गन्ने से इसका उत्पादन होता है.
पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने दी मंजूरी
मंगलवार को पीएम मोदी जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मोलासेस से बनने वाले पोटाश को पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) व्यवस्था के तहत लाने का निर्णय लिया गया. एनबीएस व्यवस्था में 25वें ग्रेड के तहत मोलासेस से बनने वाले पोटाश को शामिल करके इसे सब्सिडी के दायरे में लाया गया है. फर्टिलाइजर्स कंट्रोल ऑर्डर में यह पहले से ही शामिल है. मोदी सरकार के इस निर्णय से देश में मोलासेस से बनने वाले पोटाश के उत्पादन और प्रयोग में काफी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है.

गन्ना मिलों की जब आय बढ़ेगी तो इसका लाभ किसानों को भी होगा.
मोलासेस से बनने वाले पोटाश से गन्ना मिलों को ऐसे फायदा होगा
मोलासेस से बनने वाले पोटाश से गन्ना मिलों को भी फायदा होगा. देश के कई राज्यों से गन्ना मिलों की खराब वित्तीय सेहत की खबरें आती हैं, लेकिन मोलासेस से बनने वाले पोटाश ने इन मिलों को अतिरिक्त आमदनी होगी जो मोलासेस मिलों के लिए प्रदूषक बना हुआ है और जिसका निपटान उनके लिए सरदर्दी बना हुआ है, वह गन्ना मिलों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन जाएगा.
किसानों की आय ऐसे बढ़ेगी
गन्ना मिलों की जब आय बढ़ेगी तो इसका लाभ किसानों को भी होगा. ये मिल किसानों से पहले के मुकाबले बेहतर मूल्य पर गन्ना खरीद पाएंगे. साथ ही जब इन मिलों की आय बढ़ेगी तो ये किसानों को समय पर भुगतान भी कर पाएंगे. इससे किसानों को दूसरा फायदा यह होगा कि उन्हें सस्ता पोटाश मिल पाएगा. इससे कृषि में उनकी लागत कम होगी. इसका मतलब यह हुआ कि किसानों को लागत के स्तर पर और गन्ना की बेहतर कीमत के स्तर पर यानी दो तरह से आर्थिक लाभ होगा. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रगति होगी.

मोलासेस से बनने वाले पोटाश से गन्ना मिलों को भी फायदा होगा.
पोटाश पूरी तरह जैविक होगा
यह पोटाश प्राकृतिक स्रोत से बनने की वजह से पूरी तरह से जैविक होगा. इससे देश में जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाने की मोदी सरकार की कोशिशों को मजबूती मिलेगी. उर्वरक क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि मोलासेस से बनने वाला पोटाश मिट्टी की बेहतर सेहत भी सुनिश्चित करेगा.
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स्वदेशी पोटाश पर देश में होने वाला खर्च कम होगा
मोलासेस से बनने वाले पोटाश का दूसरा फायदा यह होगा कि इससे पोटाश का आयात कम होगा. पिछले पांच साल में भारत ने हर साल औसतन 40 लाख टन पोटाश का आयात किया है. अभी भारत अपनी पोटाश जरूरतों को 100 प्रतिशत आयात पर निर्भर है. जबकि, मोलासेस से बनने वाले स्वदेशी पोटाश का उत्पादन बढ़ने से पोटाश के आयात पर देश का होने वला खर्च कम होगा. भारत को विदेशी मुद्रा की बचत होगी. वहीं, दूसरी तरफ इससे प्रधानमंत्री मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना पूरा करने की दिशा में देश कुछ कदम और आगे बढ़ेगा.
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