उत्तराखंड

पश्चिम UP में नए कृषि कानून मुद्दा नहीं, गन्ने के मूल्य की अहमियत, किसान PM-CM से खुश’

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नई दिल्ली. पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western UP) के दो बड़े बीजेपी नेताओं (Top BJP Leaders) का कहना है कि इलाके के किसानों के बीच नए कृषि कानून कोई मुद्दा नहीं हैं. यही नहीं, इन नेताओं का कहना है कि क्षेत्र में बेहतर कानून व्यवस्था की वजह से किसान पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से खुश हैं.

दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने बीते रविवार को मुजफ्फनगर में बड़ी रैली की. इस रैली में बीजेपी को चैलेंज करने की बात भी कही गई. इस रैली के बाद चर्चा छिड़ गई है कि क्या 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में बीजेपी के लिए मुश्किलें सामने आएंगी? इस इलाके में 2017 में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की थी.

क्या कहते हैं केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान
केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान ने न्यूज़18 से बातचीत में कहा कि पश्चिम यूपी के किसानों में नए कृषि कानून कोई मुद्दा नहीं हैं. उन्होंने कहा-हमारे किसानों के मुद्दे अलग हैं. यहां पर गन्ना किसानों के मुद्दे हैं. अगर ये मुद्दे हल हो जाएं तो सब कुछ ठीक है. ये नए कानून हमारे किसानों के लिए कोई मुद्दा नहीं हैं. गन्ना खरीद मूल्य में बढ़ोतरी होने से बड़ा फर्क पड़ेगा और इसका वादा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है.

क्या बोले सुरेश राणा
उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री और थानाभवन से विधायक सुरेश राणा का कहना है कि मुख्यमंत्री वादा कर चुके हैं कि गन्ना खरीद मूल्य बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा-ये बहुत जल्द होने जा रहा है और प्रक्रिया शुरू है. किसान इससे बेहद खुश है.

कानून व्यवस्था के मसले पर खुश है किसान
राणा का कहना है- पश्चिम यूपी में किसानों का बीजेपी को सबसे ज्यादा सपोर्ट कानून व्यवस्था के मसले पर मिल रहा है. पश्चिम यूपी में इससे पहले लोगों का रहना मुश्किल हो रहा था, लड़कियों को स्कूल जाने में दिक्कत होती थी और हर दूसरे दिन दंगे होते थे. ये सबकुछ बीजेपी के शासन में बिल्कुल बदल गया है. पश्चिम यूपी के किसान पीएम मोदी और सीएम योगी के दीवाने हैं.

राजनीतिक रंग अख्तियार कर चुका है किसान आंदोलन
वहीं किसान आंदोलन के मुद्दे पर बालियान ने कहा कि अब ये राजनीतिक रंग अख्तियार कर चुका है. अब इसमें राजनीतिक पार्टियां शामिल हो चुकी हैं. राज्य की जनता 2022 में इसका फैसला कर देगी. वो कहते हैं-रैली में राजनीतिक पार्टियां भंडारा कर रही थीं. लोग पार्टियों के झंडे के साथ दिखाई दे रहे थे. रालोद, कांग्रेस, सपा सबने भंडारा किया. इसमें लखनऊ और सैफई से लोग शामिल थे.

रैली में सभी बयान राजनीतिक थे
राणा कहते हैं- प्रदर्शन में पंजाब की संलिप्तता बताती है कि रैली की मंशा कृषि कानूनों में सुधार की नहीं है. आप इरादों की तरफ ध्यान दीजिए. सभी बयान राजनीतिक थे. ये पश्चिमी यूपी में असामान्य बात है कि गन्ने की सीजन के पहले रैली या पंचायत हो और उसमें गन्ने पर चर्चा न हो. ये दिखाता है कि हमने ज्यादातर समस्याओं को सुलझा लिया है. आप हाल के पंचायत इलेक्शन देखिए. हमने जबरदस्त जीत हासिक की. ये पूरी तरह ग्रामीण चुनाव था. उस वक्त भी लोगों ने कहा था कि बीजेपी को परेशानी होगी.

सीएम ने बैठक में सुलझाए मद्दे
राणा ने यह भी कहा कि बीते महीने सीएम योगी ने किसानों से खुले तौर पर बातचीत की थी. गन्ना मूल्य के मुद्दे पर किसानों ने पीएम मोदी और सीएम योगी की प्रशंसा की है. किसानों ने कुछ सुझाव भी दिए जैसे परिवार के सदस्य देते हैं. किसानों ने पराली जलाने की शिकायतों पर ध्यान दिलाया, बिजली कटौती का जिक्र किया और गन्ने के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी की बात की. मुख्यमंत्री ने सभी मुद्दों का एक बार में समाधान कर दिया. किसान खुश थे और वो जानते हैं कि खरीद मूल्य बढ़ाए जाने की एक प्रक्रिया है. हम उस पर काम रहे हैं.

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