उत्तराखंड

14 अगस्त को देश मनाएगा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, क्या है इसके पीछे सरकार की मंशा

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नई दिल्ली: देश के विभाजन के समय हिंसा व घृणा के साए में विस्थापित हुए असंख्य बहनों व भाइयों के त्याग, संघर्ष व बलिदान की याद में पीएम मोदी ने 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर पूरे देश को इसकी जानकारी दी. पीएम ने लिखा कि बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नही जा सकता. उन्होंने कहा कि ये दिन देश वासियों को याद दिलाने के लिए है कि समाज मे बंटवारे, वैमन्यस्य की बात करने वालों को दूर रखना है और साथ ही समाज में एकता , सौहार्द बना कर लोगो के सशक्तिकरण में जुट जाना है.

कई यादें काफी दर्द देती हैं

सरकारी सूत्र बताते हैं कि ये दिवस मनाने के पीछे मंशा ये है कि जो अपने इतिहास से सबक नही लेते, वो इतिहास को दोहराने पर मजबूर भी करते हैं. किसी भी देश, सभ्यता का इतिहास सिर्फ एक आईने से नहीं देखा जा सकता. कई यादें सही होती हैं और कुछ यादें काफी दर्द देती हैं. अच्छी यादें आपको जोश से भर देती है और मुश्किल घड़ियों की यादें सबक देती हैं कि हम उन गलतियों को न दोहराएं.

भारत के विभाजन और जिन घटनाओं ने इसे अंजाम तक पहुंचया- जैसे तुष्टिकरण की राजनीति, बांटने वाली ताकतों को आजादी के एजेंडा को तय करने देना, और जब लोगों का नुकसान हो रहा हो तो किनारे बैठ कर तमाशा देखने वाली घटनाएं कम से कम अब दोबारा नही झेलना पड़े. हमें ये सब फिर से नही झेलना पड़े, ये सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है हम उन बातों को याद भी करते रहें और उनसे सही सबक भी लें.

मोदी सरकार का मानना है है कि जो पूर्व की गलतियों से नही सीखना चाहता वो ऐसी बाते दोहराएगा भी. इस लिए हम हर 14 अगस्त को ये शपथ लेंगे की इतिहास में हुई ऐसी गलतियां दोहरैने नही और सब साथ मिल कर कहेंगे “अब कभी नही”
दुनिया के कई देशों में ऐसा दिन मनाया जाता है

दुनिया भर में ऐसे कई देश हैं जिन्होंने त्रासदी झेली है. वो ऐसे दिनों को याद भी करते हैं जब लाखो लोगों को ये दर्द झेलना पड़ा था. जैसे गुलामों के व्यापार और उसकी समाप्ति को याद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. ये लोगों को मौका देता है कि इससे याद करें और शपथ लें कि वो ऐसा कभी नही होने देंगे.

बांग्लादेश भी 25 मार्च को नरसंहार दिवस के रूप में मनाता है. इस दिन पाकिस्तान ने आपरेशन सेरचलिहत्वके तहत बांग्लादेश में लाखों बांग्लादेशियों की हत्या की और महिलाओं का रेप तक किया. भारत में भी आजादी के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी थी. लेकिन बंटवारे की वही मानसिकता आज भी हमारे देश में जिंदा है. इस लिए उसे याद रखना और उस राजनीति के नतीजों की याद दिलाना देश के लिए बहुत जरूरी है
जिन्होंने ने बंटवारा कराया वो अभी भी हमारे पड़ोस में आग लगा रही हैं

ये ताकते जिन्होंने बंटवारे के समय हजारों की जान ली, वो अभी भी हमारे पड़ोसी मुल्क में सक्रिय हैं. वो गलत शक्तियां अभी पड़ोसी देश में शासन कर रही हैं. जिसके कारण पूरे इलाके में मानव त्रासदी झेलनी पड़ रही है. उनकी आतंक को बढ़ावा देतव की राजनीति के कारण हज़ारो जाने जा रही हैं.

उधर हमारे देश भारत मे, कई ऐसी मुख्यधारा से जुड़ी राजनीतिक पार्टियां हैं जो ऐसी ताकतों के लिए भी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं. शायद उन्हें लगता है कि इस तुष्टिकरण से कभी तो सकारात्मक परिणाम आएंगे. इससे बुरा क्या हो सकता है कि देश को तोड़ने के लिए, कुछ हिस्सों को मुख्यधारा से काटने के लिए ऐसी ताकतें गलत समूहों की मदद भी ले रही हैं.

इस लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस एक मौका है पूरे देश में जागरूकता लाने का. ये जागरूकता उस मानसिकता से लड़ने का जिसने देश का बंटवारा किया, लेकिन एक बात तो साफ है कि भारत सदियों से सबको मिलाकर और सबके साथ ले कर चलने की अपनी ताकत के कारण अलगाववादियों और बांटने वाली ताकतों का डट कर सफलता पूर्वक मुकाबला कर पा रहा है.

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