उत्तराखंड

कोविड-19: यूरोप जैसे हालात की राह पर भारत! वैक्सीन के ‘कम’, ‘ज्यादा’ आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

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(निवेदिता सिंह)

नई दिल्ली. दिसंबर नजदीक है और कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ टीकाकरण को लेकर सरकार की तरफ से घोषित समयावधि को पूरा होने में थोड़ा ही वक्त बाकी है. सरकार ने कहा था कि साल के अंत तक देश की वयस्क आबादी (India’s Adult Population) का टीकाकरण कर लिया जाएगा, लेकिन राज्यों में बढ़ते वैक्सीन के स्टॉक (Vaccine Stock) ने चिंताएं भी बढ़ा दी हैं. टीकाकरण अभियान शुरू होने के 300 दिनों के बाद 80 फीसदी आबादी को पहला डोज लग चुका है. जबकि, दूसरे डोज के मामले में यह संख्या 40 प्रतिशत है. कागज पर ये आंकड़े भले ही बेहतर नजर आ रहे हों, लेकिन यूरोप और मध्य एशिया की स्थिती को देखें, तो भविष्य की सुरक्षा मुश्किल में दिख रही है.

दोनों क्षेत्रों में कोविड-19 के मामलों में एक बार फिर इजाफा दर्ज किया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यूरोप और मध्य एशिया का हर एक देश कोविड के नए खतरे का सामना कर रहा है या इससे जूझ रहा है. WHO ने इसका कारण अपर्याप्त टीकाकरण और उपायों में ढील को बताया है. हालांकि, भारत में अभी मामलों में बढ़त नहीं देखी जा रही, लेकिन अन्य दो स्थितियां बनी हुई हैं.

भारत में टीकाकरण अभियान का आगाज 16 जनवरी को हुआ था और 1 मई से 18+ आयुवर्ग को वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हो गई थी. शुक्रवार को टीकाकरण अभियान के 301 दिन पूरे हुए और देश में 111 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं. अगस्त और सितंबर में टीकाकरण की रफ्तार तेज थी, लेकिन अक्टूबर में इसमें गिरावट देखी गई. शुरुआत में भी टीकाकरण कई कारणों में धीमा रहा, लेकिन जून में हालात बेहतर हुए.

जून में वैक्सीन को 12 करोड़ डोज दिए गए. जुलाई में यह आंकड़ा 13.45 करोड़ पर पहुंच गया था. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में डोज की संख्या 18.38 करोड़, सितंबर में 23.60 करोड़, अक्टूबर में 17.29 करोड़ थी. देश में कुल टीकाकरण का 40 फीसदी अगस्त और सितंबर में दर्ज किया गया. यह वही समय था, जब देश कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक का अनुमान लगा रहा था.

त्योहार के मौसम के बीच टीकाकरण प्रभावित हुआ है. बीते कुछ हफ्तों में बगैर इस्तेमाल हुई वैक्सीन की संख्या तेजी से बढ़ी है. सरकार ने अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 121 करोड़ डोज मुहैया कराए हैं. शुक्रवार को इस्तेमाल में नहीं आए डोज की संख्या 18.04 करोड़ थी. 1 नवंबर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पास 13 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन बची हुई थीं. 15 अक्टूबर को यह आंकड़ा केवल 10.53 करोड़ पर था. जबकि, 1 अक्टूबर को उपयोग नहीं किए गए डोज की संख्या केवल 5 करोड़ थी.

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इस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धीमे टीकाकरण वाले जिलों के साथ समीक्षा बैठक की थी. बैठक में वे जिले शामिल हुए थे, जहां पहले डोज का वैक्सीनेशन कवरेज 50 फीसदी से भी कम था और दूसरे डोज के मामले में भी आंकड़े काफी कम थे. पीएम मोदी ने झारखंड, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मेघालय के 40 जिलों के जिलाधिकारियों से चर्चा की थी.

उस दौरान पीएम ने घर-घर जाकर टीकाकरण की बात पर जोर दिया था. उन्होंने ‘हर घर दस्तक’ की बात कही थी. उन्होंने बताया था कि यह टीकाकरण अभियान को लोगों के घर तक ले जाने के लिए कदम है. अब जब कुछ देशों में कोरोना के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है, तो लोगों के लिए यह समझने का समय है कि महामारी खत्म नहीं हुई है. नागरिकों को यह समझना होगा कि संक्रमण की एक और घातक लहर से बचने के लिए टीकाकरण जरूरी है.

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