उत्तराखंड

Pithoragarh Weather Update: भारी बारिश से धारचूला में कई जगह भूस्खलन, चीन सीमा से लगती सड़कों का बुरा हाल

[ad_1]

पिथौरागढ़. उत्तराखंड में इस साल मानसून के तेवर खासे बदले हुए दिख रहे हैं. हालात ये हैं कि सूबे के दो ज़िलों में बेतहाशा बारिश हो रही है, तो वहीं शेष नौ ज़िले सामान्य बारिश को भी तरस रहे हैं. मौसम के इस बदलाव से खेती पर अच्छा खासा असर पड़ ही रहा है, पर्यटकों के आवागमन के साथ ही दूरदराज़ के इलाकों तक कोविड टीकाकरण अभियान की पहुंच भी प्रभावित हो रही है. राज्य के तमाम हिस्सों में बारिश किस तरह बेतरतीब हो रही है और खेती किसानी को किस तरह नुकसान हो रहा है, जानिए.

उत्तराखंड में इस साल मौसम चक्र में खासे बदलाव देखने को मिले हैं. सर्दियों का सीज़न जहां बिना बारिश के गुज़र गया, वहीं रबी की फसलों की कटाई के वक्त जमकर बारिश हुई. ऐसा ही कुछ बदलाव अब बरसात के सीज़न में दिख रहा है. जुलाई के अंत तक उत्तराखंड के बागेश्वर और चमोली ज़िलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई जबकि शेष नौ ज़िलों में ज़रूरी बारिश तक नहीं हो सकी. आंकड़ों के मुताबिक सबसे कम बरसात पौड़ी ज़िले में हुई है.

ये भी पढ़ें : सीएम धामी ने अमित शाह से मांगे दो संस्थान, तो राजनाथ सिंह से रेल लाइन के लिए मंज़ूरी

खेती और बागबानी पर असर
बेतरतीब हो रही बारिश से खेती के साथ ही बागबानी पर भी असर पड़ रहा है. विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत का कहना है कि जिस तरह इस बार बारिश हो रही है, उससे किसानों के साथ ही काश्तकारों की दिक्कतें बढ़ेंगी. उन्होंने इस बात को भी माना कि इस साल के शुरू से ही मौसम चक्र में बदलाव दिखाई दिया है. जानकार ये भी कह रहे हैं कि जिन इलाकों में बारिश कम हो रही है, वहां सूखे जैसे हालात की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

Uttarakhand news, monsoon in Uttarakhand, Uttarakhand rains, weather news, Uttarakhand weather, उत्तराखंड न्यूज़, उत्तराखंड में मानूसन, मौसम समाचार, उत्तराखंड में बारिश

उत्तराखंड के ज़्यादातर ज़िलों में जुलाई में सामान्य से कम बारिश हुई है.

कहां कैसे रहे बारिश के आंकड़े?
बागेश्वर में मानसून सीज़न में 160 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है, जबकि चमोली में 90 फीसदी अधिक. अल्मोड़ा में भी 22 फीसदी अधिक बारिश हुई लेकिन हैरानी की बात ये है कि पौड़ी में सामान्य से 22 फीसदी कम बारिश हुई. हरिद्वार में 12, उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर में 11, नैनीताल और चम्पावत 6 फीसदी, पिथौरागढ़ में 4, रुद्रप्रयाग में 3 और देहरादून में 1 फीसदी कम बारिश हुई. जानकार इसके लिए ग्लोबल वॉर्मिंग का बड़ी वजह मान रहे हैं. मौसम के बदलाव पर नजर रखने वाले वैज्ञानिक डॉ. जेएस बिष्ट का कहना है कि कहीं कम तो कहीं ज्यादा बारिश होना पर्यावरण में बड़े बदलाव की तरफ साफ संकेत कर रहा है.

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *