उत्तराखंड

PM मोदी बोले- दुनिया को हैरान कर देंगे हमारे स्वदेशी हथियार, जानें किन विदेशी उपकरणों पर लगेगा बैन

[ad_1]

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत के विरोधियों पर ”आश्चर्य का लाभ” उठाने के लिए मिलिट्री हार्डवेयर का कस्टमाइजेशन और यूनिक होना बहुत जरूरी है. और यह लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है, जब हथियार और प्रणालियां भारत में ही विकसित हों. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित वेबिनार में ”रक्षा के क्षेत्र में आत्मानिभर्ता- कॉल टू एक्शन” विषय पर अपने विचार रखते हुए उपरोक्त बातें कहीं.

उन्होंने कहा, ”यदि 10 देशों के पास एक ही प्रकार के रक्षा उपकरण हैं, तो आपके सशस्त्र बलों में कोई विशिष्टता नहीं होगी. विरोधी के खिलाफ अद्वितीयता और आश्चर्य तत्व के लिए, हमारे अपने देश में सैन्य उपकरणों का विकास करना होगा.” इस वेबिनार का आयोजन हालिया रक्षा बजट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जो रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन प्रदान करना चाहता है.

प्रधानमंत्री ने बताया रक्षा क्षेत्र में देश का आत्मनिर्भर होना क्यों है जरूरी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले के समय में, विदेशी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण आयातित रक्षा उपकरणों के साथ रिश्वतखोरी के आरोपों को जोड़ा जाता था, विवाद होता था. यह अक्सर इस कारण होता ​था, क्योंकि रक्षा उपकरण बनाने वाली विदेशी कंपनियों अपने प्रतिस्पर्धियों के उत्पादों को ​बदनाम करने के लिए उन्हें निशाना बनाकर अभियान चलाती थीं.

उन्होंने कहा, “इससे भ्रम, संदेह पैदा हुआ और यहां तक ​​कि भ्रष्टाचार करने के लिए दरवाजे भी खुल गए. इस पर बहुत भ्रम पैदा किया जाता था कि कौन सा हथियार अच्छा है, कौन सा नहीं है. कौन सा उपयोगी है और कौन सा नहीं. रक्षा उपकरणों के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मानिभर्ता इस समस्या का भी समाधान है.” पीएम मोदी ने कहा कि भारत बहुत जल्द उन हथियारों और प्रणालियों की एक नई सूची को अधिसूचित करेगा, जिन्हें रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए आयात नहीं किया जा सकेगा.

पहले ही 209 हथियारों और उपकरणों के आयात पर रोक लग चुका है

यह इस प्रकार की तीसरी सूची होगी. भारत सरकार पहले ही 209 हथियारों और उपकरणों की दो सूचियों को अधिसूचित कर चुकी है, जिन्हें अब दूसरे देश से आयात नहीं किया जा सकता है. इनका उत्पादन भारत में ही करना होगा. इनमें आर्टिलरी गन, मिसाइल डिस्ट्रॉयर, शिप-बोर्न क्रूज मिसाइल, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, लाइट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, लॉन्ग-रेंज लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल, बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट, मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, असॉल्ट राइफल, स्नाइपर राइफल, मिनी-यूएवी, विशेष प्रकार के हेलीकॉप्टर, अगली पीढ़ी के कोरवेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम, टैंक इंजन और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली शामिल हैं.

घरेलू हथियारों की खरीद के लिए ₹54,000 करोड़ के MoU साइन हुए हैं

पीएम मोदी ने कहा कि पहली दो सूचियां अधिसूचित होने के बाद, सरकार ने घरेलू हथियारों की खरीद के लिए ₹54,000 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं और ₹4.5 लाख करोड़ की डील पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि हथियारों के आयात की प्रक्रिया बहुत लंबी और समय लेने वाली है. कुछ मामलों में मिलिट्री हार्डवेयर जब तक हमारे सशस्त्र बलों तक पहुंचते हैं, उनकी तकनीक पुरानी पड़ चुकी होती है. प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि “आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है.”

उन्होंने कहा कि 2022-23 के रक्षा बजट में देश में एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम डेवलप करने का ब्लूप्रिंट है. इसमें रिसर्च, डिजाइन और डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस​ किया गया है. इस बार के रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) का लगभग 70% घरेलू खरीद (Domestic Procurement) के लिए अलग रखा गया है.

स्वदेशीकरण सिर्फ सैन्य नहीं राजनीतिक आवश्यकता भी है: ले. ज. हुड्डा

इस विषय पर उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) का कहना है कि कोई भी देश मुख्य रूप से आयात पर निर्भर होकर अपेक्षित सैन्य क्षमता हासिल नहीं कर सकता है. लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा, ”यह स्पष्ट है कि कोई भी देश राजनीतिक हित साधे बिना अपनी नवीनतम सैन्य तकनीक दूसरे देश को नहीं बेचेंगे. इसलिए, स्वदेशीकरण न केवल एक सैन्य आवश्यकता है, बल्कि एक राजनीतिक आवश्यकता भी है.”

भारत ने गत 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपना बजट पेश किया. इसमें कुल रक्षा बजट का 84,598 करोड़ यानी 68% रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए देश में उत्पादित हथियारों और प्रणालियों की खरीद के लिए रखा गया है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इंडस्ट्री, स्टार्ट-अप और एकेडेमिया को मिलिट्री प्लेटफार्म्स के लिए डिजाइन और डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने, उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा बजट में 25% अलग रखा गया है. भारत ने इस साल के बजट में सैन्य खर्च के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.

बीते 6 वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ”रक्षा निर्यात में पिछले पांच से छह वर्षों में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है. आज हम 75 से अधिक देशों को मेड इन इंडिया रक्षा उपकरण और सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया प्रो-इंडस्ट्री पॉलिसी बनाने का वादा

अपने समापन भाषण में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी तीन सेवाओं के प्रतिनिधियों के साथ, महानिदेशक-अधिग्रहण के की निगरानी में एक तंत्र बनाया जाएगा, ताकि निजी उद्योग और स्टार्ट-अप के लिए निर्धारित बजट का पूरी तरह से उपयोग सुनिश्चित किया जा सके. उन्होंने कहा कि हम घरेलू उद्योगों के लिए कैपिटल प्रोक्योरमेंट बजट में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि घरेलू उद्योग इस बजट का शत प्रतिशत उपयोग करने में पूरी तरह सक्षम है. मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि सरकार मेक इन इंडिया को और अधिक उत्साह के साथ बढ़ावा देने के लिए प्रो-इंडस्ट्री पॉलिसी से जुड़े फैसले लेती रहेगी.”

बजट में घरेलू रक्षा खरीद के लिए आवंटन से आत्मनिर्भर होगा भारत

भारत ने पिछले साल (2021-22) घरेलू रक्षा खरीद के लिए 70,221 करोड़ अलग रखा था, जो सेना के पूंजी बजट का 64% था, जबकि 2020-21 में घरेलू रक्षा खरीद के लिए 51,000 करोड़, यानी पूंजी बजट का 58% अलग रखा था. बजट में घरेलू रक्षा खरीद के लिए लगातार तीसरे वर्ष पैसों का आवंटन, तेजस एलसीए (हल्के लड़ाकू विमान) एमके-1 ए जेट, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट, अर्जुन एमके-1 ए टैंक सहित मिसाइल और अन्य विभिन्न हथियारों की खरीद को शक्ति प्रदान करेगा.

Tags: Aatmanirbhar Bharat, Indian army, PM Modi

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *