ग्लासगो COP26 में PM मोदी का व्यस्त कार्यक्रम: बोरिस जॉनसन संग अहम वार्ता से लेकर म्यूजियम के दौरे तक
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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी एक नवंबर को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन में हाई-प्रोफाइल बैठकों की एक कड़ी शुरू होने जा रही है. इस महीने की शुरुआत में, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा की थी कि ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए उत्सर्जन में कटौती के वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.
ग्लासगो में, पीएम मोदी स्कॉटलैंड ईवेंट कैम्पस (SEC) के संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के 26वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP26) के वर्ल्ड लीडर्स समिट (WLS) में 120 से अधिक शासनाध्यक्षों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ शामिल होंगे. दरअसल एसईसी वैश्विक शिखर सम्मेलन के लिए एक नामित संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र है.
रोम में जी20 शिखर सम्मेलन के कई कार्यक्रम कर चुके पीएम मोदी शुक्रवार से शुरू हुए यूरोपीय दौरे के दूसरे चरण के लिए इटली से स्कॉटलैंड के लिए उड़ान भरेंगे.
यहां देखें ग्लासगो में 1 नवंबर के लिए स्थानीय समय में पीएम मोदी का पूरा कार्यक्रम
10:00 से 10:30 एएम – समुदाय के नेताओं / भारतविदों के साथ बैठक
दोपहर 12:00 से दोपहर 13:00 – COP26 उद्घाटन समारोह
13:45 बजे से दोपहर 14:00 बजे – यूके के पीएम बोरिस जॉनसन के साथ द्विपक्षीय वार्ता (बैठक से पहले 10 मिनट की आंतरिक ब्रीफिंग)
14:30 पीएम से 16:30 पीएम – ‘एक्शन एंड सॉलिडेरिटी – द क्रिटिकल डिकेड’ पर विश्व नेताओं के साथ हाई-प्रोफाइल ईवेंट
ईवेंट में टिप्पणी करने के बाद पीएम मोदी राष्ट्रीय बयान देने के लिए रवाना होंगे
15:00 पीएम से 16:00 पीएम – नेताओं द्वारा राष्ट्रीय वक्तव्य (प्रत्येक के लिए 3 मिनट)
17:45 पीएम – केल्विंग्रोव आर्ट गैलरी और संग्रहालय
18:00 पीएम से 20:30 पीएम – वीवीआईपी रिसेप्शन
पीएम मोदी अपने इजरायली समकक्ष से भी मिलेंगे
ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से इतर पीएम मोदी अपने इजरायली समकक्ष नफ्ताली बेनेट से भी मिलेंगे. मोदी और बेनेट के बीच यह मुलाकात विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा पिछले सप्ताह अपनी इजरायल यात्रा के दौरान मोदी की ओर से इजरायल के प्रधानमंत्री को भारत आने का निमंत्रण देने के बाद हो रही है.
बेनेट को मोदी के निमंत्रण ने इज़राइल में सुर्खियां बटोरीं थीं क्योंकि इसे नई दिल्ली से एक संकेत के रूप में देखा गया था कि भारत यहूदी राज्य में नई सरकार के साथ काम करने में सहज है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बेनेट के अगले साल भारत आने की संभावना है.
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