उत्तराखंड

चेन्नई एयर पर पकड़े गए खास नस्ल के 2247 कुछए, थाईलैंड भेजने की थी तैयारी

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चेन्‍नई. चेन्‍नई ( Chennai) एयरपोर्ट पर थाईलैंड (Thailand) जा रहे एक कार्गो से लुप्‍तप्राय प्रजाति के 2247 जीवित भारतीय स्‍टार कछुओं को बचाने में सफलता मिली है. चेन्नई एयर कार्गो कस्टम्स ने यह जानकारी दी. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इन्‍हें सुरक्षित पुनर्वास के लिए राज्य वन विभाग को सौंप दिया गया है. इनकी तस्‍करी की कोशिश की जा रही थी, जिसे नाकाम कर दिया गया.  एयर कार्गो कस्टम्स के अधिकारियों ने बताया कि संदिग्‍ध लग रहे 15 पैकेजों की जांच करने पर उनमें से दस में इंडियन स्‍टार कछुआ थे.

सीमा शुल्‍क विभाग के एक बयान में बताया खुफिया सूचना के आधार पर, थाईलैंड जाने के लिए तैयार कार्गो को रोका गया था और उसकी जांच की गई. ऐसा माना जा रहा था कि इस 250 किग्रा के इस कार्गो में केकड़ा होने चाहिए. ये केकड़े थाईलैंड के रेस्‍त्रां में खाए भी जाते हैं.  जब कार्गो को खोला गया तो उसमें प्रतिबंधित भारतीय स्‍टार कछुए भरे हुए थे. इन सभी कछुओं की जांच की गई और फिर सभी को वन विभाग को सौंप दिया गया.

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अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि यह कार्गो किस व्‍यक्ति या संस्‍था ने थाईलैंड भेजने के लिए सौंपा था, साथ थाईलैंड में यह किसे डिलीवर होना था. जानकारी के अनुसार भारतीय स्‍टार कछुआ, संकटापन्‍न प्रजातियों पर हुए अंतरराष्‍ट्रीय कन्‍वेंशन के अनुसार लुप्‍तप्राय प्रजाति में शामिल हैं और इन्‍हें वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची के अंतर्गत रखा गया है. भारतीय स्‍टार कछुआ आम तौर झाड़ियों में पाया जाता है, इसे कुछ देशों में लकी चार्म माना जाता है तो कुछ देशों में इससे बने व्‍यंजनों की डिमांड रहती है. इन्‍हें दवा बनाने में भी उपयोग में लाया जाता है. भारत के ग्रामीण इलाकों में इनकी कीमत बहुत कम तो विदेशों में ये ऊंचे दामों में बिकते हैं.

इसलिए ज्यादा होती है कछुए की तस्करी
कछुओं की बढ़ती तस्करी के कारणों को गिनाते हुए राजीव चौहान कहते हैं कि थाइलैण्ड, चीन, हांगकांग आदि देशों में कछुओं की बहुत डिमांड है. यहां स्वाद के लिए कछुआ पसंद किया जाता है. साथ ही यौनवर्धक दवाओं के लिए भी कछुए का इस्तेमाल बड़ी तदाद में किया जाता है. इन देशों में कछुए के मांस के साथ-साथ सूप की खासी मांग रहती है.

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