उत्तराखंड

Punjab Elections Update: क्या सिंधिया की राह पर जाएंगे सिद्धू? पंजाब में CM चेहरा साबित हो सकती है बड़ी समस्या

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चंडीगढ़. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 (MP Assembly Elections 2018) से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने अपने नाम के लिए काफी जोर लगाया. उस दौरान वे कांग्रेस (Congress) से मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा करने के लिए कह रहे थे. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं. अब एमपी का एक्शन रिप्ले पंजाब में भी देखा जा रहा है. जहां नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अहम भूमिका में हैं. यह कहकर कि बगैर दूल्हा-दुल्हन के बारात नहीं हो सकती औऱ यह दिखाकर कि कैसे आम आदमी पार्टी सीएम चेहरे की घोषणा नहीं करने के चलते चुनाव हारी, सिद्धू ने यह साफ कर दिया है कि ‘मुझे सीएम चेहरा घोषित किया जाए.’

सिद्धू के खेमे के कुछ नेता कमलनाथ औऱ भूपेश बघेल की तरह उनके जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के मुख्यमंत्री बनने की बात का हवाला देते हैं. न्यूज18 से बातचीत में सिद्धू के करीबी ने कहा कि 2017 में पार्टी प्रमुख के तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को उन चुनावों में सीएम चेहरा घोषित किया गया था.

हालांकि, कांग्रेस के साथ राज्य में एक परेशानी और है. यहां पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का पहला दलित सीएम बनाया. यहां पार्टी के विरोधी लगातार चन्नी को ‘अस्थाई व्यवस्था’ कह रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि अगर कांग्रेस जीत दर्ज करती है, तो क्या सीएम के तौर पर उनके स्थान पर सिद्धू को लाया जाएगा. ऐसा लग रहा है कि इसी विवाद के चलते कांग्रेस ने सत्ता में होते हुए भी किसी को सीएम चेहरा नहीं दिखाने का रास्ता अपनाया है.

इधर, सिद्धू भी पिच के दोनों छोर से खेल रहे हैं. उन्होंने चन्नी सरकार के प्रदर्शन पर हमले करना शुरू कर दिए हैं. साथ ही वे राज्य का दौरा कर रहे हैं और कुछ सीटों पर सीएम या वरिष्ठ सदस्यों या AICC से खास चर्चा के बगैर उम्मीदवारों की एकतरफा घोषणा कर रहे हैं. पहला, वे खुद को सीएम चेहरा घोषित कराने की कोशिश में है. दूसरा, वे ज्यादा से ज्यादा अपने वफादारों को टिकट दिलाने का लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं. ताकि अगर पार्टी जीते, तो उन्हें सीएम पद के लिए विधायकों का समर्थन हासिल हो सके.

सिद्धू खेमे को लगता है कि बेअदबी और विक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ एफआईआर के मुद्दे को उठा कर सिद्धू ने खुद को मजबूत किया है और इन दोनों कारणों के विजेता के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, चन्नी ने सार्वजनिक रूप से यह कभी नहीं कहा कि वे सीएम चेहरा होंगे या अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो उन्हें कुर्सी की चाह है.

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यह कहा जा रहा है कि चन्नी का दौड़ से बाहर होना उस ‘बड़े दलित फैसले’ का विरोध करती है, जिसे कांग्रेस हासिल करने का दावा करती है. ऐसे में कांग्रेस ने ‘सामूहिक नेतृत्व’ में चुनाव लड़ने का फैसला किया है और मतदाताओं के सामने सीएम को लेकर एक मिलाजुला सवाल रखा है.

लेकिन पार्टी को यह समझने के लिए कि यह क्यों काम करेगा या नहीं, उसे सिंधिया की कहानी पर लौटने की जरूरत है. एमपी चुनाव से पहले खुद को सीएम चेहरा घोषित करवाने में असफल रहे सिंधिया ने 2018 चुनाव के नतीजों के एक दिन बाद ही फिर कुर्सी के लिए अपनी बात रखी थी, लेकिन कमल नाथ के पक्ष में जाकर उन्हें नजरअंदाज किया गया.

एक साल बाद ही उन्होंने खुद और अपने विधायकों को भाजपा में ले जाकर राज्य में सरकार गिरा दी थी. क्या सिद्धू भी सीएम नहीं बनाए जाने पर क्या अपनी पार्टी के सत्ता में आने पर यही रास्ता अपनाएंगे?

Tags: Charanjit Singh Channi, Congress, Jyotiraditya Scindia, Navjot singh sidhu, Punjab elections

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