उत्तराखंड

सचिन वाजे ने कोर्ट से कहा- एक और स्टेन स्वामी नहीं बनना चाहता, मिली निजी अस्पताल में इलाज की अनुमति

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मुंबई. मुंबई (Mumbai) की एक विशेष अदालत ने बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की हिरासत राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को देने से सोमवार को इंकार कर दिया. हालांकि, अदालत ने हृदय संबंधी रोग (Heart Related Disease) का उपचार कराने के लिए उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति प्रदान की. अदालत ने कहा कि इस इलाज का खर्च वाजे और उसके परिवार को वहन करना होगा. वर्तमान में जेल में बंद वाजे ने अपने वकील के माध्यम से अदालत को बताया था कि उसकी तीन धमनियों में 90 प्रतिशत रुकावट है और डॉक्टरों ने इसके लिए तत्काल सर्जरी की सलाह दी थी.

वाजे ने अदालत से यह कहते हुए निजी उपचार की अनुमति देने का अनुरोध किया कि वह आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता एवं पादरी स्टेन स्वामी की तरह हिरासत में मरना नहीं चाहता. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी स्वामी की गत पांच जुलाई को स्वास्थ्य आधार पर जमानत की प्रतीक्षा के दौरान मृत्यु हो गई थी. पिछले सप्ताह एनआईए ने वाजे को दो दिनों के लिए जबकि उसके सह-आरोपी और पूर्व पुलिस अधिकारी सुनील माने की पांच दिनों की हिरासत के लिए विशेष अदालत में आवेदन किया था.

विशेष अदालत ने सोमवार को माने की हिरासत भी एनआईए को देने से इंकार कर दिया. इससे पहले, वाजे 28 दिनों के लिए और माने 15 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में थे. एनआईए ने दोनों आरोपियों की और हिरासत की मांग करते हुए कहा था कि वह इस मामले में गवाहों के बयानों की पुष्टि करने के लिए वाजे और माने से पूछताछ करना चाहती है.

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वाजे के वकील सुदीप पसबोला ने इस पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि जेजे हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने बगैर देरी के बायपास सर्जरी कराने की सलाह दी है. पसबोला ने इसे लेकर अदालत में वाजे की तीन मेडिकल रिपोर्ट्स भी पेश की. उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की जान से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं होता और अगर वाजे मर जाएंगे, तो NIA की जांच व्यर्थ हो जाएगी.

अपने आदेश में अदालत ने तलोजा जेल के अधिकारियों को वाजे को ठाणे जिले के भिवंडी में स्थित निजी एसएस हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर पहुंचाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने जेल अधीक्षक से हर 15 दिन में मेडिकल रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब वाजे से पूछा कि क्या वह कुछ कहना चाहते हैं. इस पर बर्खास्त पुलिस अधिकारी ने मराठी में कहा कि वे ‘एक और स्टेन स्वामी’ नहीं बनना चाहता.

(भाषा इनपुट के साथ)

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