बोले फ्लैट बॉयर्स- बिल्डर घर बैठकर नियम बनाते थे, अथॉरिटी शिकायत नहीं सुनती थी, लेकिन आज कोर्ट ने सुन ली
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नोएडा. सुपरटेक बिल्डर (Supertech Builder) के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से पीड़ित फ्लैट बॉयर्स बेहद खुश हैं. न्यूज18 हिन्दी से बातचीत में उन्होंने कहा, “8 साल पहले यह दौर था कि बिल्डर घर बैठकर बिल्डिंग निर्माण से जुड़े नियम बनाता था. उसी के चलते हमारे घरों के सामने अवैध टॉवर खड़े कर दिए. जब हम इसकी शिकायत लेकर नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) में जाते तो हमारी शिकायतें रद्दी में डाल दी जाती थीं. हमारी कोई सुनने वाला नहीं था, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने हमारी सुनी भी और हमे राहत भी दी है.”
‘कहा था कि बालकनी से दिखेगा यमुना एक्सप्रेस वे’
सुपरटेक की एमरॉल्ड सोसाइटी के निवासी और पीड़ित फ्लैट बॉयर्स पंकज नारंग ने बताया कि जब हम एमरॉल्ड में फ्लैट खरीदने के लिए गए थे तो हमे बताया गया था कि आपके आसपास ग्रीन बेल्ट होगा. आपको अपने फ्लैट की बालकनी से यमुना एक्सप्रेस वे नजर आएगा. सोसाइटी में सब कुछ खुला-खुला नजर आएगा. लेकिन यह दो अवैध टॉपर बनाकर बिल्डर ने अपने ही वादे पर पानी फेर दिया. एक हजार फ्लैट के दो 40-40 मंजिला टॉवर बना दिए गए.
बच्चों का पार्क भी बेच खाया बिल्डर ने
एमरॉल्ड सोसाइटी के एक और निवासी केके मित्तल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमे बड़ी राहत मिली है. इसके साथ ही हमे इस बात की भी बेहद खुशी है कि उन फ्लैट बॉयर्स को भी पैसा वापस मिल जाएगा जिन्हें दो अवैध टॉवर में बिल्डर ने फ्लैट बेच दिए. इन दो अवैध टॉवर की आड़ में बिल्डर हमारे बच्चों का पार्क भी बेच खाया. बिल्डर ने हमे फ्लैट देते हुए कहा था कि यहां बच्चों के खेलने के लिए एक पार्क भी होगा. लेकिन पार्क की जमीन पर अवैध टॉवर खड़े कर दिए.
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अभी यह लड़ाई जारी रहेगी
अवैध टॉवर में बेचे गए फ्लैट बॉयर्स को बिल्डर पैसा वापस करेगा, यह इतना आसान नहीं दिख रहा है. ऐसे केस में बिल्डर फ्लैट बॉयर्स को अपने दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट कर देते हैं. लेकिन नेफोमा हमेशा फ्लैट बॉयर्स के साथ खड़ी है और उनकी लड़ाई को आगे भी लड़ेगी.
अन्नु खान, अध्यक्ष नेफोमा
दोषी अफसरों को मिले उम्र कैद, संपत्ति हो जब्त
बिल्डर एक प्राइवेट कंपनी है, उसने जो किया वो भी माफी के लायक नहीं है, लेकिन इसमे सबसे बड़े दोषी अथॉरिटी के अफसर हैं. जो नियमों का उल्लंघन देखते रहे और जब शिकायतें आईं तो उन पर भी कोई सुनवाई नहीं की और न ही कार्रवाई की. ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्ति जब्त की जाए और उन्हें उम्र कैद की सजा दी जाए.
मनीष, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट, नेफोवा
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