भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में बढ़ेगा विनाशकारी बाढ़ का खतरा, नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
[ad_1]
नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और पर्यावरण पर होने वाले असर को लेकर वैज्ञानिक काफी सालों से चेतावनी देते आ रहे हैं. इन साइंटिस्ट का कहना है ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण भविष्य में पर्यावरण से संबंधित कई खतरे देखने को मिल सकते हैं. इस बीच एक नई स्टडी (New Study) में कहा गया है कि क्लाइमेट चेंज के चलते भारत के समुद्री तटों (Costal Area) बंगाल की खाड़ी, साउथ चाइना सी और साउथ इंडियन ओसियन सी में कुछ असामान्य गतिविधियां देखने को मिल सकती है.
इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार, इस नई स्टडी से समुद्री तटों से लगे शहर और उसके आसपास रहने वाले लोगों की चिंताएं बढ़ सकती है. क्योंकि इन क्षेत्रों में पहले से ही विनाशकारी बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है. समुद्री लहरों की बढ़ी हुई गतिविधियों से बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है, साथ ही यह तटरेखा विन्यास को भी प्रभावित कर सकता है. इसकी वजह से बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकता है. जिसमें भूमिगत जल में खारे पानी की घुसपैठ, फसलों का विनाश और सामाजिक व आर्थिक परिणामों की एक श्रृंखला के साथ मानव आबादी प्रभावित हो सकती है.
जर्नल ‘क्लाइमेट डायनेमिक्स’ स्प्रिंगर में पब्लिश स्टडी में कहा गया है कि तेज हवाओं की लहरें भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट के तटीय क्षेत्रों और हिंद महासागर की सीमा से लगे देशों को प्रभावित करेंगी, जिसका तटीय बाढ़ और तटरेखा परिवर्तन पर प्रभाव पड़ेगा.
यह भी पढ़ें: शहरों में वायु प्रदूषण रोकने में बहुत कारगर हो सकती है रिमोट सेंसिंग तकनीक
इस स्टडी के अनुसार, दक्षिण हिंद महासागर क्षेत्र में जून-जुलाई-अगस्त और सितंबर-अक्टूबर-नवंबर के दौरान अधिकतम तेज हवा और लहरों की गतिविधियां देखने को मिलेंगी. बंगाल की मध्य खाड़ी के क्षेत्रों में अंत-शताब्दी के अनुमानों से उच्च हवाओं का सामना करना पड़ेगा. लहरें दक्षिण हिंद महासागर के ऊपर लगभग 1 मीटर और उत्तर हिंद महासागर, उत्तर-पश्चिम अरब सागर, बंगाल की उत्तर-पूर्वी खाड़ी और दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों में 0.4 मीटर तेज होंगी.
वैज्ञानिकों ने भविष्य में तेज लहर के अनुमानों और हवा की गति, समुद्र के स्तर के दबाव और समुद्र की सतह के तापमान के साथ उनके संबंधों की विस्तृत जांच की. इस रिसर्च में दो अलग-अलग ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन परिदृश्यों को ध्यान में रखा गया. इस प्रोजेक्ट को इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा आरसीपी 4.5 और आरसीपी 8.5 कहा जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Climate Change, Global warming, New Study
[ad_2]
Source link