उत्तराखंड

मानसरोवर रूट पर 11000 फीट की ऊंचाई पर जुटेंगे शिव भक्त, दो साल बाद गुलज़ार होंगे गुंजी और नाबी

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पिथौरागढ़. 11 हज़ार फीट की ऊंचाई पर गुंजी एक ग्राम पंचायत है, जो चीन और नेपाल के साथ जुड़ने वाले भारतीय बॉर्डर पर मौजूद है. ये इलाका 4 महीने तक मानसरोवर यात्रा और इंडो-चाइना ट्रेड होने पर गुलज़ार रहा करता था लेकिन बीते दो सालों से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.अब इस सन्नाटे को तोड़ने के लिए एक नई पहल हुई है. इतिहास में पहली बार ‘शिव की धरती पर शिव महोत्सव’ का आयोजन होने जा रहा है. महोत्सव में धार्मिक कार्यक्रमों के साथ ही साहसिक खेलों का आयोजन होगा. डीएम आशीष चौहान का कहना है कि महोत्सव के ज़रिए इस इलाके को पर्यटन से जोड़ने की कोशिश है.

कोरोना के कारण गत दो सालों से मानसरोवर यात्रा बंद है. यही नहीं, कोविड और बॉर्डर पर तनाव बने रहने के कारण इंडो-चाइना ट्रेड भी ठप हो चुका है. ऐसे में, अब प्रशासन उच्च हिमालयी क्षेत्र गुंजी में शिव महोत्सव आयोजित कर पर्यटन को बढ़ावा देने की जुगत लगा रहा है. इस महोत्सव के जरिए यात्रा और व्यापार का अहम पड़ाव गुंजी पहली बार सुर्खियां बटोरेगा.

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गुंजी को शिव की धरती कहा जाता है और अब यहां शिव महोत्सव के ज़रिये पर्यटन को बढ़ावा देने की कवायद हो रही है.

धरती का स्वर्ग है गुंजी से लगा इलाका
वास्तव में यह क्षेत्र देश के सबसे सुंदर इलाकों में एक है. मानसरोवर यात्रा का अहम रूट होने के साथ ही, यहां आदि कैलाश और ऊं पर्वत भी मौजूद है. इस इलाके की गगनचुंबी चोटियां साल भर बर्फ से लकदक रहती हैं. साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए कई बेहतरीन ट्रेक रूट भी यहां मौजूद हैं. लिपुलेख दर्रे तक रोड कटने के बाद यहां पहुंच भी आसान हुई है, लेकिन बीते दो सालों में यहां के लोगों की दिक्कतों में भी खासा इजाफा हुआ है. अब उम्मीद है कि महोत्सव यहां के पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

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नाबी में भी बहाल होगा रोज़गार
स्थानीय विधायक हरीश धामी का कहना है कि महोत्सव के ज़रिए उच्च हिमालयी इलाका मुख्यधारा से जुड़ेगा. पर्यटन गतिविधियों के बढ़ने से यहां रोज़गार के मौके निकलेंगे. गुंजी के करीब ही नाबी गांव भी है. नाबी गांव होम स्टे में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है. लेकिन कोरोना संकट के दौर में यहां के अधिकांश होम स्टे खाली रहे. अब बड़े स्तर पर शिव महोत्सव के आयोजन के चलते नाबी के लोगों को भी सीधा फायदा मिल सकेगा.

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