उत्तराखंड

रूस-यूक्रेन युद्ध से पंजाब में स्टील और स्क्रैप के दाम 2700 रुपए प्रति टन बढ़े

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चंडीगढ़. रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच चल रहे युद्ध का पंजाब के इस्पात उद्योग खासा असर देखने को मिल रहा है.  एक हफ्ते के भीतर स्टील और कबाड़ (Steel & Scrap) के दाम में 1400 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है. यदि युद्ध लंबे समय तक चलता है, तो ये कीमतें बढ़ सकती हैं.  1 फरवरी से स्टील और कबाड़ के अब तक रेट बढ़कर 2700 रुपये प्रति टन हो गए है.

RMG TECH channel and website की रिपोर्ट के मुताबिक स्टील सिटी मंडी गोबिंदगढ़ (Steel City Mandi Gobidgarh) में करीब 400 इकाइयां हैं. इनमें 120 भट्टियां, 150 रोलिंग मिल, 50 पाइप प्लांट और 80 अन्य छोटी इकाइयां शामिल हैं. सभी इकाइयों को यूक्रेन और रूस सहित कई यूरोपीय देशों से स्क्रैप मिलता है. कबाड़ की आपूर्ति स्थिर रहती है, इसलिए केवल दो से तीन दिन का स्टॉक ही उपलब्ध रहता है. ज्यादा स्टॉक न रखने का कारण यह है कि कीमतें ऊपर-नीचे होती रहती हैं.

रूस यूक्रेन वॉर नॉर्थ इंडिया इंपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ईशु बंसल के मुताबिक मंडी गोबिंदगढ़ में रोजाना करीब 10 हजार टन कबाड़ की खपत होती है. इसमें से 60 फीसदी स्क्रैप अमेरिका के अलावा जर्मनी, नीदरलैंड, फ्रांस, पोलैंड, इटली, यूके, रूस और यूक्रेन से आता है. सारा स्क्रैप समुद्र के रास्ते मध्य पूर्व से आता है, लेकिन युद्ध के कारण काला सागर से आने वाले जहाजों को अब अपना रास्ता बदलना होगा. इससे कबाड़ के आने में देरी होगी और लागत भी बढ़ेगी. इतना ही नहीं, शिपिंग कंपनियों ने यूक्रेन के लिए तैयार माल के लिए बुक किए गए सभी कंटेनरों को बंद कर दिया है. अगर नाटो देश युद्ध में सहयोग करें तो बहुत नुकसान होगा.

यूक्रेन और रूस दुनिया को एल्यूमीनियम और तांबे की आपूर्ति करते हैं. जंग जारी रही तो लोहे के दाम तो बढ़ेंगे. उत्तर भारत आयात संघ के उपाध्यक्ष प्रवीण गुप्ता का कहना है कि युद्ध के कारण शिपिंग कंपनियां हिचकिचा रही हैं.

वहीं, ऑल इंडिया स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद वशिष्ठ का कहना है कि रूस यूरोपीय देशों को स्टील की आपूर्ति करता है. इन देशों से स्टील और स्क्रैप भारत पहुंचता है. जब कमी होगी तो भारत ही नहीं पूरी दुनिया होगी.

Tags: Punjab, Russia, Ukraine

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