ट्विटर के खिलाफ भारत विरोधी ट्वीट को लेकर दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
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नई दिल्ली. ट्विटर पर कथित तौर पर नफरत और हिंसा फैलाने वाले एंटी इंडिया ट्वीट (Anti India tweet) को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हो सकती है. इस याचिका में सरकार को सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म के लिए कानून बनाने के निर्देश देने की मांग की गई है ताकि ट्विटर पर एंटी इंडिया ट्वीट को लेकर मुकदमा चलाया जा सके.
बीजेपी आईटी सेल (BJP IT Cell) के पूर्व राष्ट्रीय उप-संयोजक विनित गोयनका, एडवोकेट विनित जिंद, अश्विनी कुमार उपाध्याय और अन्य की ओर से दायर इस याचिका पर जस्टिस ए एम खानविलकर और सी टी रविकुमार की बेंच सुनवाई करेगी.
कानूनी मसौदा तैयार करने की मांग
याचिकाकर्ता ने एक ऐसा कानूनी मसौदा तैयार करने की मांग की है, जिससे ट्विटर पर उपलब्ध विज्ञापन और पेड कंटेंट की जांच की जा सके. जो कि नफरत भरे या देशद्रोह से जुड़े हों. ऐसे आपत्तिजनक कंटेंट और समाचार को रोक जाए जो देश के कानून के खिलाफ हो या कानून का उल्लघंन करते हैं.
कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया था नोटिस
इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और याचिकाकर्ता गोयनका की याचिका का भी हवाला दिया था. इस मुद्दे पर पहले से कोर्ट में एक मामला लंबित है. वहीं याचिकाकर्ता गोयनका का आरोप है कि ट्विटर आतंकी संगठनों से सहानुभूति रखता है और कई बार ऐसे ट्वीट को बढ़ावा देता है जो कि भारत विरोधी हैं और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात करते हैं.
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कई दंगों में फेक न्यूज से हिंसा बढ़ी
इस याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हुए दंगों के पीछे फेक न्यूज बड़ी वजह थी. फर्जी अकाउंट्स से जातिवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद, भाषावाद, चरमपंथ और अलगाव का प्रचार किया जाता है और उसे बढ़ावा दिया जाता है. जो कि देश की एकता और अंखडता के लिए खतरा है. इस याचिका में यह भी कहा गया कि 1 फरवरी 2021 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ट्विटर को 250 से ज्यादा ट्विटर अकाउंट्स को ब्लॉक करने को कहा था, जो कि फर्जी और उत्तेजक सामग्री को बढ़ावा दे रहे थे, लेकिन ट्विटर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
इस याचिका में बताया गया कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए कानून नहीं होने के कारण ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जानते हुए भी ऐसे मैसेज को बढ़ावा देते हैं जो कि देश और देश के कानून के खिलाफ हैं. इसलिए ट्विटर को इस बात पर स्पष्टीकरण देने की जरुरत है कि इन आपत्तिजनक कंटेंट को सर्कुलेट और प्रमोट क्यों किया जा रहा है.
वहीं इस मामले से संबंधित एक अन्य याचिका में एडवोकेट विनित जिंदल ने केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग की है ताकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर निगरानी रखी जा सके और जवाबदेही तय की जा सके.
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Tags: Facebook, Social media, Supreme Court, Twitter
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