उत्तराखंड

सैयद अली शाह गिलानी: सिर्फ भारत विरोध रहा मकसद, अंत में बेआबरू होकर हुर्रियत भी छोड़ना पड़ा

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नई दिल्ली.  अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का निधन हो गया है. उनका निधन श्रीनगर के हैदरपुरा स्थित अपने आवास में हुआ. 92 वर्षीय गिलानी बीते कई सालों से अपने घर में ही नजरबंद थे. गिलानी वो नेता थे जिन्होंने बीते कई दशकों से कश्मीर में अलगाववाद को हवा दी हुई थी. हालांकि, बाद में जिस हुर्रियत को उन्होंने बनाया, बीते साल उसी से इस्तीफा देकर अलग हो गए थे.

हुर्रियत कांफ्रेंस के पहले कंवेनर महमूद अमहद सागर थे. इस संगठन से जुड़ाव और इसकी सोच के कारण गिलानी पर कई बार कार्रवाई हुई. संगठन का उद्देश्य कश्मीर में अलगाववाद को किसी भी तरह से जिंदा रखना था.

कई तरह के आरोप
गिलानी पर राजद्रोह से लेकर हवाला फंडिंग, पाकिस्तान से फंडिंग जैसे कई आरोप लगे हैं. आतंकी हाफिज सईद से पैसे लेने को लेकर भी गिलानी से पूछताछ हुई थी.

आखिरकार हुर्रियत से भी देना पड़ा इस्तीफा
इस सबके बीच हुर्रियत की पहचान रहे गिलानी ने बीते साल संगठन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई थीं. कहा गया कि संगठन के भीतर दो गुटों में रार बहुत ज्यादा बढ़ गई थी. माना गया था कि गिलानी ने बगावती तेवरों को देखते हुए नाराज होकर इस्तीफा दिया था.

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