उत्तराखंड

पंद्रहवी शताब्दी से चल रही मल्ला महल से प्रशासनिक व्यवस्था होगी खत्म, इतिहास में दर्ज होंगी यादें

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अल्मोड़ा. अल्मोड़ा का मल्ला महल और रानी महल ऐतिहासिक हैं. चंद राजाओं ने 1518 में महल का निर्माण करवाया और अपनी राजधानी स्थापित की. इसके बाद ब्रिटिश शासन भी मल्ला महल से ही चला. आजाद भारत में जिले की प्रशासनिक व्यवस्था भी यही से चली. अब यहां कलेक्टरेट का शिफ्ट होना शुरू हो गया है.

जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने कहा कि मल्ला और रानी महल ऐतिहासिक हैं. यहां से चंद राजा, गोरखा, ब्रिटिश शासक और फिर आजाद भारत में प्रशासनिक व्यवस्था चलती थी. अब नया कलेक्टरेट स्यालीधार में बनकर तैयार हो गया है, जिसमें शिफ्टिंग का कार्य भी शुरू हो गया है. अब यह महल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनेगा. महल को उसके मूल स्वरूप में लाने के लिए लंबे समय से निर्माण कार्य चल रहा है.

वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश पंत का कहना है कि चंद राजाओं से लेकर गोरखाओं और ब्रिटिश हुकूमत ने मल्ला महल से ही अपना सत्ता चलाई और आजाद भारत में कलेक्टरेट भी मल्ला महल से ही जिले की प्रशासनिक व्यवस्था देखते थे. अब यह व्यवस्था स्यालीधार से चलेगी. वहां जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था भी की जानी चाहिए. ऐतिहासिक भवन में पूरा इतिहास अंकित होना चाहिए, जिससे यहां आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग महलों के इतिहास को जान सकें.

अल्मोड़ा नगर सांस्कृतिक ही नहीं, ऐतिहासिक भी है. मल्ला महल सहित कई स्थान ऐसे हैं जो चंद राजाओं से लेकर आजादी और उत्तराखंड के आंदोलन में प्रमुख रहे हैं. महल को पर्यटकों के लिए विकसित करने से पर्यटक ऐतिहासिकता को जानेंगे, जिससे पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा.

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