उत्तराखंड

अफगानिस्तान में खूनी खेल अमेरिकी हार का नतीजा है : विशेषज्ञ

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वॉशिंगटन. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आत्मघाती बम विस्फोट में 13 अमेरिकी सैनिकों और 170 से अधिक अफगानों के मारे जाने के बाद अमेरिका के सुरक्षा बल जहां मंगलवार तक अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए प्रयासरत हैं वहीं विशेषज्ञ वहां के खून-खराबे को अमेरिकी हार का नतीजा बताते हैं. अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े युद्ध के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से वापस जा रहा है. जिस तालिबान के खिलाफ अमेरिका ने पहले लड़ाई लड़ी थी, उसी के हाथ में वह देश को छोड़कर जा रहा है.

यह पूछे जाने पर कि वर्तमान संकट को लेकर क्या राष्ट्रपति बाइडन इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं तो व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि वर्तमान में ऐसी बातों पर गौर करने के लिए वक्त नहीं है. पुलित्जर पुरस्कार विजेता इतिहासकार जोसेफ इलिस ने कहा कि काबुल में दुनिया जो खून-खराबा देख रही है वह अमेरिका की देश छोड़ने का खराब योजना या अक्षमता नहीं है, बल्कि यह उसकी हार है. उन्होंने कहा कि हम जब वहां गए थे और जो हालात थे हम अब भी वैसा ही देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब आप युद्ध हारते हैं तो ऐसा ही होता है.

बुरे होते जा रहे हैं अफगानिस्तान के हालात

बता दें कि तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान के हालात बुरे होते जा रहे हैं. 26 अगस्त के दिन काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी दो मोटरसाइकिल को नाटो-अफगान के संयुक्ती गश्ती दल में टक्कर मार दी. इस धमाके में 13 अमेरिकी सैनिक समेत 90 लोगों की मौत हो गई है. इस घटना में दर्जनों लोग घायल हुए हैं.

इस घटना की जिम्मेदारी ISIS-K ने ली है. वहीं अफगानिस्तान द्वारा बीते दिनों अमेरिकी सेना को 31 अगस्त तक लोगों को इवैक्युएट करके अफगानिस्तान से निकल जाने की चेतावनी दी गई थी. इसके बाद इस घटना के बाद ISIS-K के तार तालिबान से भी जुड़ने लगे हैं.

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