अपनी उम्र जितने अनुभवी नेताओं के CM बने पुष्कर धामी, सरकार चलाना चुनौती
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उत्तराखंड बीजेपी में 69 साल के बंशीधर भगत के अलावा कई और बुजुर्ग नेता भी हैं, जिनके सामने धामी का राजनीतिक अनुभव न के बराबर है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट पर गौर करें तो सीएम धामी के लिए न सिर्फ अपनी पार्टी के मौजूदा 56 विधायकों, बल्कि 5 लोकसभा और 2 राज्यसभा सांसदों के साथ भी समन्वय बनाना प्रमुख चुनौती है. खासकर हरिद्वार से लोकसभा सांसद रमेश पोखरियाल निःशंक, जिन्हें बीते दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा है. निःशंक राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में बीजेपी के कुल 56 विधायकों में से 5 की उम्र 70 साल से ज्यादा है. 17 विधायक 60 से 69 साल के, 23 एमएलए 50 से 59 वर्ष के और 10 विधायकों की उम्र 40 से 49 साल है. सिर्फ एक ही विधायक हैं जिनकी उम्र 40 से कम है.
पुष्कर धामी के मंत्रिमंडल में सिर्फ रेखा आर्य (42 वर्ष) ही हैं, जो उम्र में उनसे कम हैं. लेकिन सत्ता में रहने का अनुभव उनका भी ज्यादा है. भाजपा युवा मोर्चा के 2 बार प्रदेश प्रमुख रह चुके धामी के लिए इन विधायकों के साथ समन्वय बनाकर सरकार चलाना निश्चित रूप से कठिन माना जा रहा है. धामी के शपथ ग्रहण से पहले पार्टी के बुजुर्ग नेताओं की नाराजगी चर्चा में भी रही. इसलिए शपथ लेने से पहले पुष्कर धामी सतपाल महाराज के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत की नाराजगी को देखते हुए उन्हें सीएम बनने के एक ही दिन बाद यानी 5 जुलाई को भोजन पर आमंत्रित किया. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पुष्कर धामी काफी ऊर्जावान नेता हैं, साथ ही युवा मोर्चा के नेतृत्व का उनके पास लंबा अनुभव है. इसलिए उनके लिए ऐसा करना आसान होगा.
बंशीधर भगत, हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज के अलावा बीजेपी के एक और वरिष्ठ सहयोगी मदन कौशिक हैं, जिनके साथ भी धामी के लिए तालमेल बिठाना आवश्यक है. 56 साल के मदन कौशिक 4 बार विधायक रह चुके हैं, साथ ही प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं. वर्तमान में वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनका साथ पाने के लिए धामी ने शपथ ग्रहण के बाद व्यक्तिगत रूप से उनके घर जाकर मुलाकात की, जिसे मीडिया में शिष्टाचार भेंट कहा गया. धामी से अनुभव और उम्र में बड़े नेताओं में कई नाम और भी हैं, जिनके साथ सियासी तालमेल बिठाकर ही मौजूदा सीएम अपनी सरकार चला सकेंगे. देखना है कि विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले प्रदेश की सत्ता संभालने वाले पुष्कर सिंह धामी किस तरह पार्टी के अंदर तालमेल और सत्ता के समीकरणों को साध पाते हैं.
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