हरिद्वार : गुरु पूर्णिमा पर ‘सांकेतिक स्नान’ का दावा फेल, भीड़ उमड़ी तो कोविड नियम टूटे
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25 जुलाई से कांवड़ यात्रा की तिथि है, लेकिन उत्तराखंड के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश ने भी इस यात्रा को रद्द किया. ऐसे में कांवड़ियों को बॉर्डर पर ही रोके जाने के आदेश प्रशासन ने दिए. सुरक्षा की दृष्टि से यह नियम है कि किसी भी श्रद्धालु को कोविड निगेटिव रिपोर्ट न होने पर प्रवेश न दिया जाए. यही नियम शुक्रवार को प्रशासन ने गुरु पूर्णिमा स्नान के लिए भी लागू किया और शनिवार को इसका सख्ती से पालन करवाए जाने का दावा किया था. लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
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ज़िला प्रशासन ने हिदायतों में कहा था कि सांकेतिक स्नान में सिर्फ श्री गंगा सभा और तीर्थ पुरोहित की भागीदारी को अनुमति होगी. अन्य श्रद्धालुओं को निगेटिव रिपोर्ट के बगैर अनुमति नहीं दी जाएगी. लेकिन ये सभी दावे हवा हवाई साबित हुए जब शनिवार को हज़ारों श्रद्धालु अनेक घाटों पर देखे गए. एक खबर में तस्वीरें भी जारी करते हुए कहा गया कि दावों के उलट भारी भीड़ गुरु पूर्णिमा पर हरिद्वार पहुंचकर स्नान किया और किसी नियम का पालन नहीं हुआ.
25 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को इस साल रद्द किए जाने के बावजूद कांवड़ियों को रोकना हरिद्वार प्रशासन के लिए चुनौती माना जा रहा है.
कैसे रोके जाएंगे कांवड़िए?
वास्तव में हुआ ये कि कांवड़ियों ने वाहनों से हरिद्वार की तरफ रुख किया तो श्यामपुर बॉर्डर से उनकी पांच गाड़ियों को एंट्री नहीं दी गई. एक खबर में कहा गया है कि नारसन, श्यामपुर, भगवानपुर और चिड़ियापुर की तरफ से आ रहे करीब 120 वाहनों को शुक्रवार को हरिद्वार में प्रवेश नहीं दिया गया. कांवड़ियों के प्रवेश को लेकर सख्ती बरती गई है और हरिद्वार प्रशासन ने बॉर्डर सील करने के दावे किए हैं. लेकिन, गुरु पूर्णिमा के अवसर पर दावे नाकाम साबित होने के बाद इन दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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पहले ये भी खबरें आ चुकी हैं कि भेस बदलकर पर्यटकों के रूप में भी कांवड़िए हरिद्वार पहुंचने के रास्ते निकाल रहे हैं. ऐसे में रद्द की गई कांवड़ यात्रा को लेकर 25 जुलाई से किस तरह इंतज़ाम टिक सकेंगे, इसे लेकर चर्चा हो रही है. यह भी गौरतलब है कि सावन मास शुरू होने के चलते भी श्रद्धालु तीर्थों और नदियों की तरफ रुख कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन के सामने आने वाले हफ्ते में भीड़ को काबू करना बड़ी चुनौती साबित होने वाली है.
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