उत्तराखंड

अल्मोड़ा को जीवन देने वाले ‘नौलों’ को बचाने उतरी नगरपालिका, बदल दी सूरत

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अल्मोड़ा नगर को चंद वंशी राजाओं ने बसाया था. उस समय नगर को बसाते वक्त काफी संख्या में नौले भी बनाए गए थे, जिससे शहर के लोगों को पानी मिल सके. नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने बताया कि अल्मोड़ा शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में एक जमाने में करीब 365 नौले हुआ करते थे. नगर की जनता इन नौलों के पानी को उपयोग में लाती थी, पर घर-घर पेयजल लाइन पहुंचने के बाद नौलों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, जिस वजह से क्षेत्र में नौलों की संख्या कम हो गई थी.

कई जगहों पर नौले मिट्टी या फिर झाड़ियों से घिर गए. वहीं कुछ नौले अतिक्रमण की चपेट में आकर खत्म हो गए. वर्तमान में शहर में करीब 50 से 55 नौले ही रह गए हैं, जो पहले खराब पड़े थे. पालिकाध्यक्ष ने बताया कि नौलों के जीर्णोद्धार के लिए इनकी गणना की गई थी. आकलन के बाद जर्जर हालत और खराब पड़े नौलों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.

प्रकाश जोशी ने बताया कि नगरपालिका ने नौलों को संरक्षित करने के लिए पहल की गई है, जिसमें 47 नौलों को चिन्हित किया गया है. अभी तक 27 नौलों को ठीक कर दिया गया है. जल्द ही खराब पड़े अन्य नौलों को भी नया स्वरूप दिया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि नौलों में जल संरक्षण और जल संवर्धन का काम कराया गया है क्योंकि अल्मोड़ा की पेयजल व्यवस्था मुख्य रूप से पंपिंग सिस्टम पर आधारित है, जिसमें बार-बार पेयजल वितरण व्यवस्था में व्यवधान पड़ता रहता है. कभी बिजली नहीं होने से तो कभी नदी में सिल्ट आने से पानी नहीं मिल पाता है. पंपिंग भी नहीं हो पाती है, जिस वजह से अल्मोड़ा के लोगों को नौलों का सहारा लेना पड़ता है.

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