उत्तराखंड

हाई कोर्ट में याचिका, ‘अधूरी तैयारी के साथ खुले उत्तराखंड में स्कूल’, इधर पहले दिन रौनक कम

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नैनीताल/देहरादून. प्रदेश भर में अगस्त महीने के पहले वर्किंग डे से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लिए स्कूल खोल दिए गए तो राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में एक चुनौती भी पहुंच गई. एक जनहित याचिका में उत्तराखंड सरकार के इस फैसले पर आपत्ति लेते हुए कहा गया कि सैनेटाइज़र और अन्य सुविधाओं के बगैर आधी अधूरी तैयारी के साथ स्कूल खोल दिए गए हैं. वहीं राज्य भर में स्कूल खुलने के पहले दिन बहुत कम स्टूडेंट्स स्कूल पहुंचे. कहीं 2 तो कहीं 5 बच्चे स्कूल पहुंचते दिखे, हालांकि अधिकांश ने अरसे बाद खुले स्कूलों में पहले दिन के अनुभव को अच्छा बताया.

पहले नैनीताल से आई खबर की बात करें तो विजय पाल सिंह ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका में कहा कि विशेषज्ञों ने तीसरी लहर का खतरा बच्चों को लेकर बताया है. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के चलते बच्चों के जीवन को खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए. याचिका में सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए ऑनलाइन मोड में ही स्कूल खोले जाने की मांग की गई.

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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने स्कूलों के खुलने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की.

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता विजय पाल सिंह को निर्देश दिया कि सरकार के जीओ को याचिका में शामिल किया जाए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिका 29 जुलाई को दाखिल की गई थी, तब कैबिनेट का आदेश था, लेकिन सरकार ने 31 जुलाई को जीओ जारी किया. कोर्ट ने जीओ समेत पूर्ण दस्तावेज याचिका में दो दिन के भीतर शामिल करने का टाइम दिया.

कम पहुंचे बच्चे, पैरैंट्स कर रहे हैं ट्रायल
उत्तराखंड में सोमवार से क्लास 9 से 12 तक के लिए प्राइवेट और सरकारी स्कूल खुले तो डेढ़ साल के इंतजार के बाद अभिभावक पहले दिन बच्चों को स्कूल भेजने में हिचकते दिखे. ओवरऑल 30% ही अटेंडेंस दिखी. किसी स्कूल में एक भी बच्चा नहीं पहुंचा तो कहीं 5 बच्चे ही नज़र आए. जिन ​अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजा, उनका कहना है कि एक हफ्ते अपने बच्चों को स्कूल भेजकर स्थिति देखना चाहते हैं. वहीं, देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल सती ने कई स्कूलों में कम स्ट्रेंथ की पुष्टि करते हुए कहा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से पढ़ाई जारी रहेगी.

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