उत्तराखंड

लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के प्रस्ताव से मुस्लिम परिवारों में हड़कंप, कई लोग जल्दबाजी में करा रहे हैं निकाह

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नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने बाल विवाह रोकथाम (संशोधन) कानून (Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill 2021) अभी लागू नहीं किया है. सिर्फ इसमें प्रस्तावित किया है कि लड़कियों की शादी की उम्र (Woman’s Marriage age) 18 के बजाय 21 साल कर देनी चाहिए. लेकिन सरकार के इस प्रस्ताव से ही कई मुस्लिम परिवारों में हड़कंप मच गया है. इससे कई परिवारों ने लड़कियों की शादी तय वक्त से पहले ही कर दी. जबकि किसी ने तय वक्त से पहले हुए निकाह के बाद बेटियों की विदाई कुछ महीने टाल दी क्योंकि परिवार आर्थिक दबाव में आ गया.

न्यूज-18 (News-18) को मिली जानकारी के अनुसार, तेलंगाना, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कुछ राज्यों में दिसंबर के आखिरी 15 दिनों में 18 से 20 साल की उम्र वाली कई मुस्लिम लड़कियों का निकाह हुआ है. जबकि ये शादियां पहले मई-जून 2022 के आसपास होने वाली थीं. लेकिन संसद के शीतकालीन सत्र में महिलाओं की शादी से जुड़ा कानून (Woman’s Marriage age Bill) पेश होते ही ये शादियां जल्दबाजी में की गईं. ताकि बाद की किसी कानूनी झंझट से बचा जा सके.

हालांकि अब तक यह कानून संसदीय समिति के पास विचाराधीन ही है. जल्दबाजी में तय वक्त से पहले बेटियों की शादी के समारोह आयोजित करने से कई मुस्लिम परिवार आर्थिक संकट में भी उलझ गए. इससे उन्हें निकाह के बाद बेटियों की विदाई 3-4 महीने के लिए टालनी पड़ गई. न्यूज-18 (News-18) ने ऐसे कुछ मुस्लिम अभिभावकों से बात भी की. इनमें मेरठ, उत्तर प्रदेश के समीउल्लाह खान भी एक हैं. वे बताते हें कि उनके परिवार ने छोटी बेटी का निकाह ईद-उल-फितर के बाद मई 2022 में करने की तैयारी की थी. पर तभी महिलाओं की शादी से जुड़ा कानून (Woman’s Marriage age Bill) आ गया. यह कानून सब पर बराबरी से लागू होने वाला है. इसलिए हमें उसका निकाह जल्द करना पड़ा.

भोपाल, मध्य प्रदेश के अब्दुल जब्बार भी ऐसी हड़बड़ी में 29 दिसंबर 2021 को ही दूल्हा बनकर घोड़ी चढ़ गए. जबकि पहले तय कार्यक्रम के मुताबिक उनका निकाह 15 जून 2022 को होने वाला था. इसी तरह, हैदराबाद, तेलंगाना की दिलशाद बेगम और वारंगल के मोहम्मद अयान का निकाह 9 अप्रैल 2022 को तय था. दिलशाद के अब्बू कतर में रहते हैं. वे मार्च के आखिरी हफ्ते में हिंदुस्तान आने वाले थे. लेकिन जैसे ही महिलाओं की शादी से जुड़ा कानून (Woman’s Marriage age Bill) आया, जान-पहचान और परिवारवालों के मशविरे पर दिलशाद की अम्मी ने उनका निकाह 31 दिसंबर 2021 को ही करा दिया. हालांकि इस शादी के चक्कर में उनके सामने अब नई मुसीबत आ गई है.

दिलशाद की अम्मी निशात समरीन बताती हें, ‘हमारे पास जो पैसे थे, वे हमने निकाह में खर्च कर दिए. इससे न तो दूल्हा-दुल्हन के लिए ठीक से ज्वैलरी और कपड़ों की खरीदारी हो पाई और न ही बेटी की विदाई हुई. हमारे पास पैसे नहीं बचे थे, इसलिए हमने विदाई 3-4 महीने के लिए टाल दी. अब मार्च में जब दिलशाद के अब्बू कतर से लौटेंगे, उसके बाद ही विदाई हो पाएगी.’

तहरीक-ए-मुस्लिम शाबां के अध्यक्ष मुहम्मद मुश्ताक मलिक न्यूज-18 (News-18) से बातचीत में पुष्टि करते हैं कि महिलाओं की शादी से जुड़ा कानून  आने के बाद हैदराबाद में कई परिवारों ने जल्दबाजी में बेटियों के निकाह किए हैं. इससे वे आर्थिक मुश्किलात में भी फंस गए हैं. इसके साथ ही वे इस कानून को दुर्भाग्यपूर्ण भी बताने से पीछे नहीं हटते. सोशियो-रिफॉर्म सोसायटी के संस्थापक डॉक्टर अलीम खान फलाकी भी मानते हैं कि यह कानून अनैतिक है. सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं, सभी मजहबों के लिए.

Tags: Child marriage in India, Hindi news, Marriage Law, Muslim Marriage

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