उत्तराखंड

बारिश का सीजन खत्म, नक्सल प्रभावित इलाकों में कश्मीर जैसे ऑपरेशन की तैयारी में जुटे सुरक्षा बल

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(अंकुर शर्मा)
नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और झारखंड (Jharkhand) जैसे राज्यों के नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Affected Areas) में सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर जैसे ऑपरेशंस (Kashmir Like Operations) देखने को मिलेंगे. सीआरपीएफ अधिकारियों (CRPF Operations) ने न्यूज18 डॉट कॉम को ये जानकारी दी है. मिली जानकारी के मुताबिक बारिश का मौसम (Rainy Season) खत्म होने के बाद शीर्ष अधिकारियों ने प्रभावित इलाकों में बड़े ऑपरेशन के लिए मंजूरी दे दी है.

नाम ना बताने की शर्त पर सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज18 को बताया, ‘बारिश का मौसम खत्म हो गया है और एंटी-नक्सल स्पेशलाइज्ड फोर्स कोबरा और प्रभावित इलाकों के प्रमुखों को नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मैसेज दे दिया गया है. ये ऑपरेशन उसी तरह चलेंगे, जैसे कि कश्मीर में चलते हैं. अभियान में जल्द ही में कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा.’

दूसरी ओर नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात आईटीबीपी और सीआईएसएफ जैसे अन्य अर्धसैनिक बलों को भी नक्सलियों के मूवमेंट पर नजर रखने और ऑपरेशन को अंजाम देने को कहा गया है. इसी तरह केंद्र के शीर्ष अधिकारी भी रेड जोन वाले इन इलाकों का दौरा करेंगे और सुरक्षा बलों की तैयारियों को परखेंगे. स्थानीय पुलिस को भी केंद्र सरकार की मंशा के बारे में बता दिया गया है.

अधिकारियों ने कहा, ‘बारिश के मौसम में ऑपरेशंस को अंजाम देना खतरनाक होता है और बड़े पैमाने पर नुकसान की आशंका होती है. सुरक्षा बल बारिश का मौसम खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि एक बड़ी संख्या में अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षा बल एंट्री कर सकें और नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू कर सकें.’

अधिकारी ने कहा कि सीआरपीएफ ने नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है. उन्होंने कहा, ‘कुछ हफ्ते पहले इनपुट मिला था कि नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के हाल में बने कैंपों की रेकी है. साथ ही नक्सली काडर स्थानीय लोगों से मिलकर सुरक्षा बलों के खिलाफ उन्हें उकसा रहा है, ताकि वे सरकारी योजनाओं को बहिष्कार कर सकें. ‘

इस साल की शुरुआत में गृह मंत्रालय ने संसद को बताया था कि वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई है. 2009 में वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं जहां 2,258 थीं, वहीं 2020 में इनकी संख्या घटकर 665 हो गई है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, ‘इसी तरह नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौत के मामलों में भी 82 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 2010 में ऐसे मामलों की संख्या जहां 1,005 थी, वहीं 2020 में घटकर 183 हो गई है.

इसके साथ ही वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में भी कमी आई है. 2013 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या जहां 76 थी, वहीं 2020 में यह घटकर 53 हो गई है.

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