उत्तराखंड

पेगासस का निशाना बने लोगों से SC की समिति ने कहा, आगे आएं और हमें पूरी जानकारी दें

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नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति ने रविवार को एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर नागरिकों से कहा कि यदि उन्हें संदेह है कि उनके मोबाइल फोन में पेगासस ‘मालवेयर’ से सेंध लगाई गई है, तो वे आगे आएं और समिति से संपर्क करें. सार्वजनिक नोटिस में ऐसे नागरिकों से यह कारण भी बताने को कहा है कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि उनके उपकरण में पेगासस मालवेयर से सेंध लगाई गई होगी, और क्या वे तकनीकी समिति को इन उपकरणों की पड़ताल करने की अनुमति देने की स्थिति में हैं.

रविवार को प्रमुख समाचार पत्रों में जारी किये गये सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है, “जिन लोगों को यह संदेह है कि उनके उपकरण में सेंध लगाई गई है, उन्हें तकनीकी समिति को सात जनवरी 2022 से पहले एक ईमेल भेजना चाहिए.” नोटिस में कहा गया है, “यदि समिति को प्रतीत होगा कि संदेह के लिए आपके कारण को लेकर आगे की जांच की जरूरत है तो समिति आपसे आपके उपकरण की जांच करने देने का अनुरोध करेगी.”

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इसमें कहा गया है, “समिति ने अनुरोध किया है कि भारत के किसी नागरिक को, जिसे एनएसओ ग्रुप इजराइल के पेगासस सॉफ्टवेयर के विशेष उपयोग के चलते अपने मोबाइल फोन में सेंध लगाये जाने का संदेह है, तो उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति से संपर्क करना चाहिए…” नोटिस में कहा गया है, “साथ ही, यह कारण बताना होगा कि आपको ऐसा क्यों लगता है कि आपके उपकरण में पेगासस मालवेयर से सेंध लगाई गई, और क्या आप तकनीकी समिति को अपने उपकरण की जांच करने की अनुमति देने की स्थिति में हैं.”

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समिति उपकरण प्राप्त करने की एक पावती देगा और उपयोगकर्ता को उनके रिकॉर्ड के लिए एक डिजिटल तस्वीर देगा. नोटिस में कहा गया है कि मोबाइल फोन एकत्र करने का स्थान नयी दिल्ली में होगा और जांच/छानबीन पूरी होने के बाद इसे वापस कर दिया जाएगा. पिछले साल इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल भारत में कथित तौर पर जासूसी के लिए किये जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था.

पिछले साल अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि विशेषज्ञों की एक समिति यह जांच करेगी कि क्या सरकार ने सैन्य श्रेणी के निजी इजराइली पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं, सक्रियतावादियों, उद्योगपतियों, न्यायाधीशों और पत्रकारों की जासूसी के लिए किया है.

Tags: Pegasus, Pegasus spy case, Supreme Court

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