उत्तराखंड

Success Story: नाकामयाबी के तानों से हो गईं थी हताश, फिर पहले अटेम्प्ट में बनीं PCS

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नई दिल्ली. Success Story: सक्सेस स्टोरी में आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की DSP ओशिन जोशी की. आइये जानते हैं ओशिन जोशी के संघर्ष की कहानी, उन्हीं की जुबानी. उन्होंने Electronic and Communication में B.Tech किया. इसके बाद लगा कि मैनेजमेंट फील्ड में जाना चाहिए. CAT का एग्जाम दिया और फेल हो गईं. इसके बाद आर्मी, एयरफोर्स और बैंक आदि के बहुत से एग्जाम दिए, लेकिन हर जगह फेल हुई. लोगों से नाकामयाबी के ताने सुन-सुनकर बुरी तरह हताश हो गईं, लेकिन हार नहीं मानी. और वापसी की तो पहले ही प्रयास में PCS क्लियर किया और DSP बन गईं.

उत्तराखंड के देहरादून से है नाता:
ओशिन जोशी उत्तराखंड के देहरादून से हैं. परिवार में माता-पिता और 4 साल छोटा भाई है. पिता NTPC में एडिशनल जनरल मेनेजर हैं, और मां हाउसवाइफ हैं. भाई ने अभी हाल में B.Tech की पढाई पूरी की है. ओशिन का भाई ही उनके यहां तक के सफर में उनकी सबसे बड़ी ताकत बना रहा. उसने हमेशा ओशिन को लगातार प्रयास करने के लिए प्रेरित किया कि आप कर सकते हो.

2009 में चली गईं थी कोटा:
ओशिन जोशी 10वीं क्लास के बाद इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए 2009 में कोटा चली गईं थी. वो एक बेहतरीन स्टूडेंट थीं. लेकिन 11वीं क्लास में सिर्फ 50 प्रतिशत अंक आये. इससे उन्हें बहुत धक्का लगा. कोटा में बच्चों को लेकर क्राइम और बीमारियाँ ज्यादा थीं, लेकिन इसी ने उन्हें अन्दर से स्ट्रोंग बनाया. इसलिए 12वीं में वापस देहरादून आ गयीं. लेकिन PCM समझ नहीं आ रहा था. फिर भी पेरेंट्स के कहने पर उन्होंने गाजियाबाद की SRM यूनिवर्सिटी से B. Tech किया.

कई एग्जाम में हुईं थी लगातार फेल:
ओशिन बताती हैं कि उन्होंने कॉलेज के दौरान कई इवेंट्स में participate किया. इससे उन्हें एक्स्प्लोर करने में काफी मदद मिली और उनमे कॉन्फिडेंस आया. B. Tech के बाद उन्हें लगा कि अब मैनेजमेंट या पब्लिक सर्विस में से कोई एक फील्ड चुनना है. इसलिए उन्होंने CAT का एग्जाम दिया, लेकिन फेल हो गईं. इसके बाद उन्होंने आर्मी, एयरफोर्स और बैंक समेत बहुत सारे एग्जाम दिए, लेकिन सभी जगह फेल हो गईं. इसके बाद वो काफी हताश हुईं

NGO से किया कमबैक:
इसके बाद ओशिन ने ‘रूम टू रीड’ NGO ज्वाइन किया और 8वीं के बच्चों की काउंसलिंग शुरू की. देहरादून में 8वीं क्लास में गर्ल्स स्टूडेंट का ड्रॉपआउट रेट बहुत ज्यादा है. तभी उन्हें अपनी टीचिंग स्किल्स का पता चला. तब लगा कि उनके लिए पब्लिक सर्विस का फील्ड सबसे बेहतर रहेगा. उन्होंने देहरादून का सौभाग्यम इंटरनेशनल स्कूल ज्वाइन किया. स्कूल की प्रिंसिपल कैनेडियन थी. उनको असिस्ट किया और बच्चों को भी पढ़ाया. यहाँ से भी काफी कॉन्फिडेंस मिला. लेकिन आसपास के लोग रिश्तेदार ताने देने लगे कि बीटेक के बाद स्कूल में 8 हजार की नौकरी करती हो.

2016 में शुरू की UPSC की तैयारी:
ओशिन बताती हैं कि उन्होंने साल 2016 में देहरादून में वेदांता आईएस अकैडमी जॉइन की और UPSC की तैयारी शुरू कर दी. यहाँ अर्चना यादव मैडम ने उनकी बहुत मदद की. एग्जाम दिया और 2019 में रिजल्ट आया. उन्होंने पहले ही प्रयास में PCS क्लियर कर लिया था. घरवालों को पता चला कि उन्होंने मेंस क्लियर कर लिया है तो सभी बहुत खुश हुए और तानेबाजों के मुहं बंद हो गए. इसी बीच दादाजी की मृत्यु हो गई और पिताजी का ऑपरेशन भी हुआ. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फोकस्ड रहीं. उनकी जिंदगी कि नाकामियां उनके इंटरव्यू में बहुत काम आईं. क्योंकि इंटरव्यू पूरी तरह NGO और गर्ल्स एम्पावरमेंट पर केन्द्रित था. फाइनली 2019 केडर से PCS चुनी गईं. उन्हें DSP पद पर 10वीं रैंक मिली है और फिलहाल वे उत्तरकाशी में अपनी ट्रेनिंग पूरी कर रही हैं.

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